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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


उन्होंने यह भी कहा है कि फ्रायड अथारिटी हो सकते हैं। लेकिन मे आपमे कहता हूं कि जो मैं कह रहा हूं, उस पर शायद फ्रायड दो कौड़ी भी नहीं जानते। फ्रायड मानसिक तल से कभी भी ऊपर नहीं उठ पाया। उसको कल्पना भी नहीं है आध्यात्मिक सेक्स की। फ्रायड की सारी जानकारी रुग्ण सेक्स की है-हिस्टेरिक, होमोसेक्सुउग्लटि, मास्टरबेशन-इस सबकी खोजबीन है। रुग्ण सेक्स, विकृत सेक्स के बाबत खोजबीन है, पैथलॉजिकल है। बीमार की चिकित्सा की वह खोज है। फ्रायड एक डॉक्टर है। फिर पश्चिम में जिन लोगों का उसने अध्ययन किया, वे मन के तल के सेक्स के लोग हैं। उसके पास एक भी अध्ययन नहीं है, एक भी कैस हिस्ट्री नहीं, जिसको स्प्रिचुअल सेक्स कहा जा सके।
तो अगर खोज करनी है कि जो मै कह रहा हूं, वह कहीं तक सच है, तो सिर्फ एक दिशा में खोज हो सकती है, वह दिशा है तंत्र। और तंत्र के बाबत हमने हजारों साल से सोचना बंद कर दिया है। तंत्र ने सेक्स को स्प्रिचुअल बनाने का दुनिया में सबसे पहला प्रयास किया था। खजुराहो में खड़े मंदिर, पुरी और कोणार्क के मंदिर सबूत हैं। कभी आप खजुराहो गए हैं? कभी आपने जाकर खजुराहों की मूर्तियां देखीं।

तो आपको दो बातें अद्भुत अनुभव होंगी। पहली तो बात यह है कि नग्न मैथुन की प्रतिमाओं को देखकर भी आपको ऐसा नहीं लगेगा कि उन में जरा भी कुछ गंदा है, जरा भी कुछ अग्ली है। नग्न मैथुन की प्रतिमाओं को देखकर कहीं भी ऐसा नहीं लगेगा कि कुछ कुरूप है, कुछ बुरा है। बल्कि मैथुन की प्रतिमाओं को देखकर एक शांति, एक पवित्रता का अनुभव होगा जो बड़ी हैरानी की बात है। वे प्रतिमाएं आध्यात्मिक सेक्स को जिन लोगों ने अनुभव किया था, उन शिल्पियों से निर्मित करवाई गई हैं।

उन प्रतिमाओं के चेहरों पर...आप एक सेक्स से भरे हुए आदमी को देखें, उसकी आंखें देखे, उसका चेहरा देखें, वह घिनौना, घबरानेवाला, कुरूप प्रतीत होगा। उसकी आंखों से एक झलक मिलती हुई मालूम होगा, जो घबरानेवाली और डरानेवाली होगी १ प्यारे से प्यारे आदमी को, अपने निकटतम प्यारे से प्यारे व्यक्ति को भी स्त्री जब सेक्स से भरा हुआ पास आता हुआ देखती है तो उसे दुश्मन दिखाई पड़ता है, मित्र नहीं दिखाई पड़ता। प्यारी से प्यारी स्त्री को अगर कोई पुरुष अपने निकट सेक्स से भरा हुआ आता हुआ दिखाई देगा तो उसे उसके भीतर नरक दिखाई पड़ेगा, स्वर्ग नहीं दिखाई पड़ सकता।

लेकिन खजुराहो की प्रतिमाओं को देखे तो उनके चेहरे को देखकर ऐसा लगता है, जैसै बुद्ध का चेहरा है, महावीर का चेहरा हो, मैथुन की प्रतिमाओं और मैथुनरत जोड़े के चेहरे पर जो भाव हैं वे समाधि के हैं और सारी प्रतिमाओं को देख लें और पीछे एक हल्की-सी शांति की झलक छूट जाएगी और कुछ भी नहीं। और एक आश्चर्य आपको अनुभव होगा।
आप सोचते होगे कि नंगी तस्वीरें और मुर्तियां देखकर आपके भीतर कामुकता पैदा होगी, तो मैं आपसे कहता हूँ, फिर आप देर न करे और सीधे खजुराहो चले जाएं। खजुराहो पृथ्वी पर इस समय अनूठी चीज है।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga