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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


रमाकांत पागलों की तरह देर तक बड़बड़ाता रहा तो न जाने कब उसके वृद्ध पिता उसे घसीटकर ले गए। भीतर से कुंडी चढ़ाकर बोले, "शिवदास की तरह क्या तू भी पगला गया है? सरकारी गल्ले की दुकान है मेरी। किसी ने रपट कर दी तो लाइसेंस छिन जाएगा। बता, फिर इतने बच्चों का पेट कैसे भरेगा?”

आवेश में रमाकांत चिल्लाया, "मैं पूछता हूं, अब आपकी दुकान में गल्ला ही क्या है ! क्या अब भी अपने बच्चों को पेट भर अन्न दे पा रहे हैं, जो व्यर्थ में चीखे जा रहे हैं....?"

"अरे, तू तो सचमुच पगला गया है रे, रमा !” पिता हताश होकर बोले, “अब नहीं है तो फिर कभी तो होगा ही। आशा पर दुनिया जीती है !"

रमाकांत ने अजीब-सा कड़वा मुंह बनाया, "आशा पर दुनिया जीती है... !" और ज़मीन पर थूक दिया–पुच्च से।

शिव'दा के टूटे घर में फिर कभी दीया न जला। सारी-सारी रात किसी के रोने-सिसकने की आवाजें आती रहीं। अंधेरे में काले चमगादड़ से उड़ते दिखते तो भय लगता।

लोग कहते, दूर किसी अंधी जेल में शिवदा को ढूंस दिया है, जहां ऐसे हजारों कैदी हैं जो पशुओं से बदतर जिंदगी जी रहे हैं। जानवरों के बाड़े की तरह औरतों को रखा गया है। तन ढकने के लिए पूरे वस्त्र तक नहीं। औरतों के पूरे वार्ड में केवल एक धोती ! कभी बाहर से किसी का कोई रिश्तेदार मिलने आता है, तब वह वही धोती तन पर लपेट लेती है। और वापस आकर उसी को फिर खूटी पर टांग देती है।

अपना ही देश !

अपने ही लोग।

जगह-जगह फटी हुई धरती, लाशों को नोचते हुए गिद्ध और सियार !

मेरा सिर घूमने लगता है। शिवदा का वह मासूम मुखड़ा आंखों के आगे तैरने लगता है, जब वह सुबह-सुबह इन वीरान खेतों में भटकते हुए बंकिम बाबू का गीत गुनगुनाया करते थे:

"सुजलाम् सुफलाम्..." शिव'दा की आंखों से रक्त की बूंदें झरने लगती थीं।

उस साल भी अकाल पड़ा था। पूरे तीन महीने तक शिवदा भटकते रहे। घर-घर, द्वार-द्वार घूम-फिरकर अकाल-पीड़ितों के लिए अन्न जुटाते रहे।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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