कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
|
8 पाठकों को प्रिय 61 पाठक हैं |
हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
यह सपना जब भी यदा-कदा दीख जाता है तो नींद टूटने के बाद फिर उस सारी रात मैं सो नहीं पाता। एक अजीब-सी घुटन धुएं की तरह लिपटी रहती है...।
पर आज मेरी पलकें खुली-की-खुली रह जाती हैं, जब मैं किसी विदेशी लेखक की तिब्बत पर लिखी नई पुस्तक उठाता हूं। सन् 1967 का नया संस्करण है-न्यूयॉर्क में छपा। उसके पहले ही पृष्ठ पर जो रंगीन फोटो है, वह ठीक उसी चिरपरिचित चट्टान का है, जिसे मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा था और जिस पर से मुझे प्रायः हर रात उतरना पड़ता है...
वही धुंधला-सा रास्ता, वे ही घुमावदार मोड़, अंतिम मोड़ के पीछे बर्च का झुका हुआ वृक्ष, नीचे लकीर-सा काला जल और और सामने ऊंट की नंगी पीठ-सा छिछला पहाड़, जिस पर मुझे चढ़ना ही नहीं, उतरना भी होता है...
पुस्तक ख़रीदकर लाता हूं। जिससे भी कहता हूं, कोई सच नहीं मानता।
पुस्तक का पहला ही पृष्ठ मैंने खोलकर पढ़ा तो मुझे लगा, यह किसी संन्यासी की आत्मकथा' है। इसके नायक का जन्म ठीक उसी दिन हुआ था जिस दिन मैं पैदा हुआ था। मेरे पिता की तरह उसके पिता भी किसान थे। मेरी मां तीन मई को गुज़री थीं, जब मैं सात साल का था। तीसरी मई को इसकी मां भी गुजरी थीं-इसकी उम्र भी तब लगभग सात साल की थी...
दूसरे अध्याय की घटनाएं तो और भी अधिक नाटकीय ढंग से परस्पर मिलती हैं। दो भिन्न देशों में रहने वाले, अलग-अलग ढंग का जीवन जीने वाले विभिन्न व्यक्तियों के जीवन में इतना साम्य हो सकता है, सहज सोचा नहीं जा सकता।
छह अध्याय के पश्चात मैं पुस्तक बंद कर देता हूं। शायद अपने भविष्य के विषय में मैं चाह कर भी अधिक नहीं जानना चाहता। मुझे लगता है, मुझसे कभी कहीं, किसी व्यक्ति की, जाने या अनजाने, चाहे या अनचाहे हत्या होने वाली है। यह भ्रम नहीं, लगभग निश्चित है। अतः इसके जो भी भयंकर परिणाम होंगे, उसकी कल्पना मात्र से सिहर उठता हूं...
इधर काफी दिनों से मैं इस कोशिश में लगा हूं कि किसी भी बात पर, भले ही वह कितनी ही नाजुक क्यों न हो, मुझे गुस्सा न आए। यदि इस 'क्षणिक आवेग पर मैंने अधिकार कर लिया तो शायद उत्तेजना की किसी भी स्थिति में मुझसे कोई अपराध होने से रह जाए और किसी होने वाले संभावित महापाप से मुक्त हो जाऊ !
|
- कथा से कथा-यात्रा तक
- आयतें
- इस यात्रा में
- एक बार फिर
- सजा
- अगला यथार्थ
- अक्षांश
- आश्रय
- जो घटित हुआ
- पाषाण-गाथा
- इस बार बर्फ गिरा तो
- जलते हुए डैने
- एक सार्थक सच
- कुत्ता
- हत्यारे
- तपस्या
- स्मृतियाँ
- कांछा
- सागर तट के शहर