कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
उसकी मृत्यु के दिन मेरा रंगीन चित्र बनकर तैयार हुआ था-किसी दुर्घटनाग्रस्त बालिका का रक्त की रेखाओं से सना। बाद में उस चित्र के नीचे मैंने 'रिंकी लिख दिया था।
और आज मैं सुबह-सुबह बैठा लिख रहा था। लिखने के लिए कलम आगे न बढ़ा तो शायद कुछ सोचने-सा लगा-शायद उन दिनों के बारे में जब मैं यहां नहीं आया था... किसी पार्क के किसी अकेले कोने में बैठी, अकेली दीप, दूब के टूटे तिनके कुट्-कुट् दांतों से काट रही है। उसके निर्विकार मासूम मुखड़े पर असमंजस का मौन भाव कितना अच्छा लग रहा है !
तभी देखता हूं, पीछे से किसी ने मेरे झुके हुए कंधों पर कुछ रख दिया है। मैं अचकचाकर मुड़कर देखें, इसके पहले किसी नारी-कंठ के ज़ोर से खिलखिलाने का स्वर फूट पड़ता है-यह हंसी ठीक दीप की जैसी है।
मैं झटके से मुड़ता हूँ !
दीप ! हां-हां, दीप-सचमुच खड़ी हंस रही है।
अपने पर मुझे विश्वास नहीं होता। कहीं यह दिवा-स्वप्न तो। नहीं ! शायद मैं अभी-अभी बैठा दीप के बारे में सोच रहा था, उसी का भ्रम हो !
“तुमने पहचाना नहीं !" वह तनिक विस्मय से कहती है, "अरे, हद हो गई ! मैं दीप हूं, दीप ! मुझे पहचानते नहीं !”
उसके उजले माथे पर उभरी पसीने की बूंदें साफ झलक रही हैं। उसके दाहिने हाथ में चीतल की खाल से मढी भूरी-भूरी मटमैली अटैची है। कपड़े अस्त-व्यस्त। बाल कुछ-कुछ रूखे, बिखरे हुए। लगता है, वह अभी-अभी रेल की-सी लंबी यात्रा से आ रही है।
मैं उचकता हूं। मेरे माथे पर किंचित बल पड़ता है।
"लोग... तो कहते...थे..."
“क्या? क्या?” मेरा वाक्य पूरा होने के पूर्व वह चहक उठती है।
"कि तुम मर गई हो...!” बड़ी मुश्किल से कह पाता हूं।
वह ताली पीटती हुई ठहाका लगाती है, “गज्जबऽ हो गया ! अरे, मैं मर गई थी और मरने के बाद यहां आई हूं ! तुम यही तो कहना चाहते हो न? मुझे लगता है कि तुम्हारी बुद्धि पलट गई है ! हो-हो-हो !” वह ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगती है।
“तुम्हें क्या हो गया? आज तुम यह कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो?” वह मेरे पास, और पास आकर कुछ सहानुभूति से कहती है।
मैं क्षण भर चुप रहता हूं। मुझे सूझता नहीं कि अब आगे क्या कहूं।
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- कथा से कथा-यात्रा तक
- आयतें
- इस यात्रा में
- एक बार फिर
- सजा
- अगला यथार्थ
- अक्षांश
- आश्रय
- जो घटित हुआ
- पाषाण-गाथा
- इस बार बर्फ गिरा तो
- जलते हुए डैने
- एक सार्थक सच
- कुत्ता
- हत्यारे
- तपस्या
- स्मृतियाँ
- कांछा
- सागर तट के शहर