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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


ट्रेन चली तो तुम सामने की खिड़की वाली सीट पर बैठ गईं। अंग्रेजी में एक 'गाइड-बुक' तुमने बाज़ार से कल ख़रीद ली थी। किन-किन रास्तों से जाना होगा, तुम आकलन करती चली जा रही थीं। बार-बार तुम्हारी आंखें दूर दरवाजे के पास रखे हमारे सामान की ओर घूम रही थीं।

दरवाजे के पास यात्रियों का सामान रखने के लिए कुछ खुली ताखें बनी थीं। यात्री अपना-अपना सामान यहां पर छोड़कर, भीतर अपनी बर्थ पर बैठ जाते।

"यह ट्रेन कहां तक जाएगी?तुमने कुछ सोचते हुए पूछा।

"लोदिंगन के पास बूदो तक। वह अंतिम स्टेशन होगा।"

"वहां कब पहुंचेंगे?"

"कल सुबह ग्यारह बजे।” मेरे पास टाइम-टेबल था, 'गाइड-बुक भी, उसमें विस्तार से सारी सूचनाएं थीं।

“मैं इसलिए पूछ रही थी," तुमने कहा, “कि रात-भर सारा सामान इसी तरह खुले में पड़ा रहेगा। हर स्टेशन पर यात्री चढ़ते-उतरते रहेंगे ! कोई कुछ चुरा ले जाए तो... !

"सीईई !” मैंने अपने होंठों पर उंगली रखते हुए कहा, “धीरे बोलो ! यहां लोग चोरी नहीं करते, हमारे यहां की तरह! तुम आराम से सो जाओ ! लोदिंगन में अपना सारा उतार लेना...।”

तुम आश्चर्य से मेरी और देख रही थीं-अविश्वास तथा संशय से भी। आंखें अब और अधिक चमक रही थीं तुम्हारी।

ट्रानहाइम में रेल बदलनी थी। इसी में रात के साढ़े दस बज गए थे। सोलो, चिप्स, खाने की कुछ सामग्री तुमने और ख़रीद ली थी।

“दुकान लगानी है क्या?” मैंने हंसते हुए कहा।

उसी स्वर में तुम्हारा उत्तर था, “हां !"

नार्वे में या क़ाहिरा में...?"

"दोनों जगहों में !" सब हंसे।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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