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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...


अंतिम सिरे पर बैठे अधेड़-से व्यक्ति ने सहानुभूति से देखा, "चल सकेगा, उतनी दूर?"

“हआंऽ!” उसने उत्साह से कहा। उसके कहने में बड़ा आत्मविश्वास था।

“हमारे साथ चलेगा तो तेरा मामा मारेगा नहीं...?"

“नहिंऽ।”

"तो चल फिर... !” कुछ देर सुस्ताने के पश्चात वे चलने लगे तो वह भी वैसा ही पीछे-पीछे हो लिया। गाय-डंगरों की तरफ उसने एक बार मुड़कर भी नहीं देखा।

तेल्या, पुंतरिगढ़, जंगार्या, लमभावर...

ज्यों-ज्यों वह आगे बढ़ रहा था, त्यों-त्यों कहीं बड़ा हल्कापन-सा लग रहा था उसे। जैसे बहुत बड़ी कैद से मुवित्त मिली हो–सांस लेने के लिए एक खुला हुआ अनंत आसमान ! थकान के बावजूद भी वह अपने को बहुत हल्का अनुभव कर रहा था।

रास्ते में सभी बातें करते जा रहे थे-बहुत सुख है वहां ! मिहनत-मजूरी के बाद भरपेट खाना। कपड़ा-लत्ता ही नहीं, ऊपर से तनख़ा भी। लौटते समय नून-तेल, कपड़ा-बरतन-भांडे...!

हिंदुस्तानी राज में अच्छी नौकरी मिल गई तो बूट-पट्टी.. कोट-पतलून... खुखरी लटकाकर चउकीदारी... रात को सीटि-डंडा, दिन को मउज-मसती...

सुनहरे सपने !

सुनहरी जिंदगी !

सारे रास्ते भर चलते-उठते, बैठते-सोते उन्होंने कितने ही किस्से सुनाए थे-परिचितों के। अपरिचितों के। धरांसी का धरम बहादुर

कैसे घर से भागकर गंगा पार हिंदुस्तानी राज में गया था। तीन-चार साल बाद घर लौटा था—सिर से पांव तक एकदम लकदक। सिर पर नमदे का ख़ाकी टोप, लंबे बूट, कमर में चमड़े की चौड़ी पेटी, तांबे का आदमी के बराबर ऊंचा रोचा लाया था। चमचम कपड़े, चूड़ि-बिंदा, लाल फूल छाप लोहे का बड़ा बक्सा...

कल रात जोगबड़ा में सोते समय नरसिंह छेत्री बतलाता था-चार-पांच साल पहले डंडेलधूरा के बड़े हाकम के साथ वह महेंदर नगर गया था-सामान ढोते हुए। वहां डिट्टा के यहां खूब भात मिला था। रोटी मिली थी। दो बखत चीनी की चा। बीड़ी। पूरे दस दिन रहा था। बड़े मजे थे वहां। गुड़ भी खाने को मिल जाता था... बड़े हाकम के साथ लौटना न होता तो वहीं रहता...

एक अनोखा संसार लग रहा था उसे स्वप्नमय ! महेंद्र नगर देखकर तो आंखें खुल आई थीं। भय लगा था। बड़ा बाजार। अफ़सर-हाकम्। दहशत-सी हुई थी। सड़कों पर इत्ती सारी भीड़ ! ये लोग कहां जा रहे होंगे !

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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