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अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ

प्रकाश माहेश्वरी

प्रकाशक : आर्य बुक डिपो प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6296
आईएसबीएन :81-7063-328-1

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‘अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ’ समाज के इर्द-गिर्द घूमती कहानियों का संग्रह है।

मेरा मन वितृष्णा से भर उठा। मिठाई खाने का मैं बेहद शौकीन हूँ। कोई अवसर नहीं छोड़ता। मगर उस दिन?...उफ़! एक-एक कौर गले के नीचे उतारना भारी हो गया।

उसी समय अंदर फोन की घंटी बजी। फ़ोन बेलारानी के नैहर से था। बात करते हुए बेलारानी ने मेहरचंद को आवाज़ दी। मेहरचंद के श्वसुर उनसे बात करना चाह रहे थे। मेहरचंद इस तेजी से लपक कर गए मानो लार्ड गवर्नर ने तलब किया हो।

उनके अंदर जाते ही बाबा को सुनहरा अवसर मिला। उनका चेहरा कठोर हो गया, आंखें प्रतिहिंसा से जलने लगीं। कुत्ते की तरफ़दारी करने वाला फिलहाल कमरे में कोई नहीं था। बिना एक पल गँवाए उन्होंने खच्च से कुबड़ी उसके पेट में खौंप दी!

कुत्ता निश्चिंत मिठाई उड़ा रहा था। एकाएक हुए हमले से घबराकर उछल गया। बाबा की आँखों में 'बदला ले लिए जाने की' खुशी चमक उठी। उधर कुत्ता मालिक की उपस्थिति में कौंचे जाने से बेहद क्षुब्ध था। वह रोषपूर्ण नजरों से बाबा को देख गुर्राने वाला था कि बाबा ने कुबडी उसकी आंख में टीच दी-'ले! आंख दिखाता है?'...कुत्ता बिलबिलाकर सोफ़े के नीचे छिप गया।

बाबा के चेहरे पर अजीब तृप्ति के भाव छा गए।

मेहरचंद की श्वसुर से बात पूरी हो चुकी थी। उन्होंने अत्यंत आदरपूर्वक अपने श्वसुर को एक बार पुनः प्रणाम कहा और फोन रख दिया। वे बाहर आने लगे। उधर कान लगाए बाबा ने झट कुबड़ी बाजू में रखी और प्लेट उठा इस मासूमियत से खाने लगे ज्यों बैठक में अभी कोई वारदात हुई ही नहीं हो?

मेरा हृदय भर आया। उस अशक्त वृद्ध इंसान का सारा व्यवहार मेरी समझ में आ गया था। बीते कल के गृहस्वामी की आज उसी के खून-पसीने से निर्मित घर में क्या हैसियत है...बेटे-बहू का व्यवहार कैसा है...कुछ न पूछते हुए भी खुली किताब-सा स्पष्ट हो गया था। कुत्ते के प्रति उनकी प्रतिहिंसा भी मेरी समझ में आ गई थी। मगर एक बात आज तक समझ नहीं आई कि उनके मन की पीड़ा का असल कारण क्या था-स्वयं की कुत्ते जैसी अपमानजनक जिंदगी या उस कुत्ते की शाही इज्जतदार ज़िंदगी?

 

 

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    अनुक्रम

  1. पापा, आओ !
  2. आव नहीं? आदर नहीं...
  3. गुरु-दक्षिणा
  4. लतखोरीलाल की गफलत
  5. कर्मयोगी
  6. कालिख
  7. मैं पात-पात...
  8. मेरी परमानेंट नायिका
  9. प्रतिहिंसा
  10. अनोखा अंदाज़
  11. अंत का आरंभ
  12. लतखोरीलाल की उधारी

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