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अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ

प्रकाश माहेश्वरी

प्रकाशक : आर्य बुक डिपो प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 6296
आईएसबीएन :81-7063-328-1

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‘अंत का आरंभ तथा अन्य कहानियाँ’ समाज के इर्द-गिर्द घूमती कहानियों का संग्रह है।

सच!

एक सिहरन-सी मालती के शरीर में ऊपर से नीचे तक दौड़ गई। उसने भर आई आँखों से स्नेहिल के पापा की ओर निहारा!

स्नेहिल के पापा ने आगे बढ़ मालती के सम्मुख घुटनों के बल बैठ नमन किया, ''...हाँ दीदी, अब हम दोनों एडजस्ट करके रहेंगे...अपनी गृहस्थी की खातिर...अपने प्यारे बेटे के खातिर!''

मालती को अनिवर्चनीय सुख की अनुभूति हो रही थी। उसका दिल इस कदर भर आया था कि चाहते हुए भी उसके मुख से कुछ कहते नहीं बन रहा था। बस, छलछलाती मुसकराती आँखों से वह इस परिवार को देखती रही। मगर उसे अभी तक यह समझ नहीं आ रहा था, आखिरकार यह चमत्कार हो कैसे गया!

स्नेहिल के पापा ने रुँधे कंठ उसकी उत्सुकता शांत की, ''निखिलजी ने अपने मित्र को मेरे पास भेजा। मित्र ने स्नेहिल का वह 'प्यारा पत्र' भी दिया और दी...आपकी ये अनमोल डायरी!''

मालती समझ गई।

उसकी आंखों से खुशी के आँसू बह चले। उसने असीम सुख से स्नेहिल को गोद में बैठाया और बाँहों में भींच फूट-फूटकर रो पड़ी। वे आँसू खुशी के थे...मन की शांति और सफलता के थे।

 

 

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    अनुक्रम

  1. पापा, आओ !
  2. आव नहीं? आदर नहीं...
  3. गुरु-दक्षिणा
  4. लतखोरीलाल की गफलत
  5. कर्मयोगी
  6. कालिख
  7. मैं पात-पात...
  8. मेरी परमानेंट नायिका
  9. प्रतिहिंसा
  10. अनोखा अंदाज़
  11. अंत का आरंभ
  12. लतखोरीलाल की उधारी

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