इतिहास और राजनीति >> भारत की एकता का निर्माण भारत की एकता का निर्माणसरदार पटेल
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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण
पेप्सू का उद्घाटन, पटियाला
१५ जुलाई १९४८
भाइयो, आज हम लोग एक बड़े
ऐतिहासिक प्रसंग पर यहां हाजिर हुए है। हिन्दुस्तान के इतिहास में आज एक
नया चैप्टर (अध्याय) लिखा जाता है और इस समय पर वह नया इतिहास बनाने में
हम लोगों को भी हिस्सा लेने का सद्भाग्य प्राप्त हुआ है। इसलिए इस अवसर पर
हम और हमारा देश गर्व अनुभव कर सकते हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर जो भाई जमा
हुए हैं, उन्हें इस समय पर ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमारा दिल
साफ कर दे। जिस पवित्र काम के लिए आज हम जमा हुए हैं, वह काम करते हुए हम
किसी प्रकार का मैल अपने हृदयों में न रखें। राजा और प्रजा सब के लिए, आज
हृदय-मन्थन का समय उपस्थित है।
यह अवसर आज कितनी सदियों के
बाद प्राप्त हुआ है। बहुत समय से भारत गुलामी में पड़ा था और आज हमें अपने
जीवन में भारत को स्वतन्त्र देखने का मौका मिला है। भारत को स्वतन्त्र
बनाने में जो मुसीबतें आईं, जो विडम्बना सहन करनी पड़ी, वह सब आपने देखी
है। लेकिन जब इतनी बड़ी क्रान्ति होती है, तो उसमें मुसीबतें आया ही करती
हैं। हमारा तो सद्भाग्य है कि उन सब मुसीबतों से हम करीब-करीब पार निकल आए
हैं। आज भी बहुत-सी कठिनाइयां हमारे सामने हैं। और यदि आज हम गलती करेंगे,
तो हम को बड़ा नुकसान होगा। ऐसा हुआ तो भविष्य की प्रजा और इतिहास हमारे
नाम पर बुराई की छाप लगाएँगे। इसलिए हमें सावधानी से अपने कर्तव्य का पालन
करने के लिए तैयार होना है।
आज पटियाला राज्य और ईस्टर्न
(पूर्वी) पंजाब के राज्यों का एकीकरण हो रहा है। आज से एक-दो साल पहले तक
इस बात का स्वप्न भी न लिया जा सकता था। आज हिन्दुस्तान से जो टुकड़ा अलग
हो गया है, उसको छोड़ कर बाकी सारा हिन्दुस्तान एक हो गया है। किसी के
स्वप्न में भी पहले इसका ख्याल न आ सकता था। किसे ख्याल था कि अपना
हिन्दुस्तान इतना जल्द एक हो जाएगा। पहले का इतिहास देखिए, मध्यकाल का
इतिहास देखिए। यह पहला मौका है कि इतने बड़े रूप में हिन्दुस्तान एक हुआ
है। यह क्यों हुआ और किस तरह से हुआ, यह सब आप जानते हैं। जो हमारा पिछले
दिनों का इतिहास है, उसमें हिन्दुस्तान कई सदियों से टूटा-फुटा और
छिन्न-भिन्न हो गया था। उस में हमारी कितनी गल्तियाँ थीं और कितनी
जिम्मेवारियां थीं, यह सब आप इतिहास में देख सकते हैं। उसके लिए आज मुझे
कुछ नहीं कहना है। आज तो मैं आपको यह कहने के लिए आया हूं कि अपने
हिन्दुस्तान के पुराने इतिहास से हम शिक्षा लें। अपनी जिन गल्तियों के
कारण हम इतनी सदियों तक गुलाम रहे, जिन से हमें शर्मिन्दा होना पड़ा, उन से
अब हम बचने की कोशिश करें। आज हम आजाद हुए हैं, और अब हिन्दुस्तान के
सुपुत्रों का यह कर्तव्य है कि वे अपने देश को फिर कभी गुलाम न बनने दें।
आज हमारा कर्तव्य है कि हम
अपने देश को आगे बढ़ाएँ। हम सीखें कि आज दुनिया के क्या ढंग हैं और उन्हीं
के मुआफिक हिन्दुस्तान को चलाएँ। तभी हिन्दुस्तान की आज़ादी जिन्दा रह सकती
है और वह आगे बढ़ सकता है। तभी दुनिया के और मुल्कों के साथ हम चल सकते
हैं। आज दुनिया बहुत छोटी बन गई है। आज जो यान्त्रिक शक्ति दुनिया में
पैदा हुई है, उसके सामने दुनिया एक छोटे मुल्क जैसी बन गई है। आज की इस
दुनिया में हमें यदि खड़ा रहना हो और हमें अपनी सच्ची जगह पकड़नी हो, तो
हमारा कर्तव्य है कि हम उसके लिए तैयार हो जाएँ।
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- वक्तव्य
- कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
- लखनऊ - 18 जनवरी 1948
- बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
- बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
- दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
- दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
- दिल्ली - 18 फरवरी 1948
- पटियाला - 15 जुलाई 1948
- नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
- गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
- बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
- नागपुर - 3 नवम्बर 1948
- नागपुर - 4 नवम्बर 1948
- दिल्ली - 20 जनवरी 1949
- इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
- जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
- हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
- हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
- मैसूर - 25 फरवरी 1949
- अम्बाला - 5 मार्च 1949
- जयपुर - 30 मार्च 1949
- इन्दौर - 7 मई 1949
- दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
- बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
- कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
- दिल्ली - 29 जनवरी 1950
- हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950