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हृदयाघात और रक्तचाप

हरी ओम गुप्ता

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5187
आईएसबीएन :81-288-1463-x

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रक्तचाप और हृदयघात रोग से बचाव के उपाय

Hridayaghat Aur Raktchap

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भूमिका

यह पूरे विश्व में प्रचलित एक बहुत पुरानी प्राकृतिक रासायनिक तत्वों वाली चिकित्सा है। सूर्य स्नान, सतरंगी किरणों के सात रंग, लाल-हरा एवं नीले रंगों के गुण इस चिकित्सा की मुख्य विशेषताएं हैं। सूर्य की किरणों एवं इसके सात रंगों द्वारा हमारे शरीर को लाभ देने की उत्तम एवं लाभकारी तकनीक है। यह सरल चिकित्सा साधारण व्यक्ति या गृहणी को भी आसानी से समझ आने वाली है। अपने रोज की खाने-पीने, मलने या अन्य इस्तेमाल की वस्तुओं को अलग-अलग रंग की सूर्य की किरणों से चार्ज करके इस्तेमाल करने से कैंसर तथा एड्स जैसे जटिल रोगों से भी आप छुटकारा पा सकते हैं।

हमारे शरीर में स्वयं ठीक होने की क्षमता होती है। जिसे हम सूर्य की किरणों से जाग्रत कर स्वस्थ, निरोगी एवं सुन्दर बन सकते हैं। यह सात रंग हर रोग को ठीक कर अच्छी सेहत प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ‘क्रोमोपैथी’ हानिरहित, बिना लागत, प्राकृतिक रासायनिक तत्त्व सूर्य देव के अमूल्य आशीर्वाद से सुसज्जित है। एक साधारण व्यक्ति भी इस चिकित्सा से निःशुल्क लाभ प्राप्त कर सकता है।

प्रस्तावना

उत्कृष्ट समाज सेवा के प्रतीक—श्री हरि ओम गुप्ता


प्रणाम ! उस ‘मां’ को जिसने तुम्हें जन्म दिया। श्री हरि ओम गुप्ता जिन्हें लोग प्यार तथा सादर से गुप्ता साहिब कहते हैं। एक सफल उद्योगपति तथा प्रिय व्यक्ति हैं। मेरे तो वह परम घनिष्ट मित्र तथा साथी हैं। उन्होंने अपना जीवन एक कुशल उद्योगपति के तौर पर व्यतीत किया परन्तु अब वह तन, मन तथा धन से समाज की सेवा में जुट गए हैं। प्रारम्भ में उन्होंने लोगों की सेवा अपने घर पर ही सूर्य की किरण और रंग चिकित्सा के माध्यम से की। इस पद्धति का इस्तेमाल उन्होंने घरेलू वस्तुओं मिश्री, शहद, वैसलीन, देसी घी, तेल और पानी को औषधीय गुणयुक्त कर औषधि के रूप में प्रयोग करवाया। वह सुदूर गांवों में भी जाकर बेसहारा तथा असमर्थ मरीजों का इलाज करते हैं। हम सब उनके मित्र तथा साथी उनकी लगन की सराहना करते हैं। अब तो मरीज लोगों की सेवा करना ही इनका परम धर्म बन गया है। गुप्ता साहिब लोगों को अपने घर पर ही निःशुल्क दवाई देते हैं।

अब लगभग पाँच वर्ष से मुझे तो ऐसा लगता है कि परमात्मा ने उनका तीसरा ज्ञान चक्षु खोल दिया है। उन्होंने अपनी कलम उठाई तथा लिखना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने इस समय केवल सूर्य किरण तथा रंग चिकित्सा के माध्यम से विभिन्न रोगों के उपचार हेतु किताबों की झड़ी लगा दी है। जो आजकल हर निकटतम बुक स्टाल पर उपलब्ध है। उनकी पद्धति को अपनाने से मनुष्य स्वस्थ, निरोग, सुन्दर, सुडौल और जीवन भर सुखपुर्वक तथा आनन्द से रहता है। मुझे आशा है कि इन पुस्तकों में दिए गए ज्ञान का अनुसरण तथा अभ्यास कर पाठक शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक करके सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे।

वेद प्रकाश खारा M.A., M.Ed., P.E.S. (Retd.)




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