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चिड़िया की जीत

रामगोपाल वर्मा

प्रकाशक : सुयोग्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5068
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है चिड़िया की जीत, शिक्षाप्रद बाल कहानी संग्रह...

Chidiya Ki Jeet -A Hindi Book by Ramgopal Varma

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कुटकुट

जॉन के पास बहुत चूहे थे। इनमें एक कुटकुट नाम का चूहा था। कुटकुट सबसे छोटा था। बहुत शरारती था। जान को उसकी शरारतें अच्छी लगती थीं। वह उसे सभी चूहों से अधिक प्यार करता था। कुटकुट को अपने हाथ से रोटी खिलाता, अपने हाथ से पानी पिलाता। कुटकुट भी जॉन को पहचानता था। वह रात को जॉन के साथ ही सोता । जॉन कहीं बाहर जाता तो कुटकुट को अपने साथ ले जाता । कुटकुट जॉन के कोट की जेब में बैठा रहता। वह जॉन के साथ दूर-दूर की सैर कर आया था।

दूसरे चूहे भी कुटकुट को बहुत प्यार करते थे। उसके साथ खेलते थे। वे उछल-कूद करते थे। शाम को सभी एक साथ बाग में जाते। कुटकुट को चारों ओर से घेरे रहते थे। कहीं कोई उस पर हमला न कर दे। जॉन को तो कुटकुट जान से ज्यादा प्यारा था।

जॉन सभी चूहों की देखभाल करता था। पड़ोस की पूसी से उन्हें बचा कर रखता था। एक दिन सभी चूहे घर के बगीचे में खेल रहे थे। पूसी को मौका मिल गया। पूसी दीवार कूद कर बाग में आ गई। जान घर में ही था। सभी चीखते हुए भागे। जॉन दौड़कर घर से बाहर आया। पूसी भाग गई। सभी चूहे छिपे हुए थे। जॉन ने उन्हें बुलाया। वह सभी को अन्दर ले गया। उसने देखा कि वहाँ सभी चूहे हैं, पर कुटकुट नहीं है। वह घबरा गया। उसने सभी चूहों को घर में बन्द कर दिया। वह कुटकुट को ढ़ूंढ़ने निकल पड़ा। उसे न कुटकुट मिला और न पूसी मिली। वह पूसी ही कुटकुट को पकड़कर ले गई है। वह लौट आया। अब वह उदास रहने लगा।

छह-सात दिनों के बाद चूहों ने कुटकुट के रोने की आवाज सुनी। वे सभी छत पर चढ़ गए। उन्होंने देखा—कुटकुट को पूसी के मालिक ने पिंजरे में बंद कर रखा है। उसके पास पूसी बैठी रहती है। कुटकुट न रोटी खाता है, न पानी पीता है, वह चूँ-चूँ करता रहता है। वह बस बाहर निकलना चाहता है।


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