लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

161 पाठक हैं

जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


उस दिन शाम को अपने अतिथियों के सम्मान में हमने गुफाघर में बड़ा भारी जलसा किया। हमारी तैयार की हुई सभी चीजों को देखकर वे बड़े खुश हुए और हमारे साहस व धैर्य की बार-बार प्रशंसा करते रहे। मेरे विशेष आग्रह पर उन्होंने हमारे परिवार के साथ एक रात भी बिताई।

दूसरे दिन सुबह नाश्ता करते समय मि. वील्लन ने बातचीत के दौरान कहा, ''आपसे मिलकर मुझे कितनी खुशी हुई, मैं इसका बयान नहीं कर सकता। जब कभी मैं दुनिया की हलचल और भागदौड़ की जिंदगी से मुक्ति लेने की बात सोचता था तो लगता था कि यह सब सपने के समान है। लेकिन यहां तो मैंने देखा कि जो मेरे लिए सपना था, वह आपके लिए सचाई है। मैं इंग्लैंड से अपने लिए किसी ऐसी ही शांत और एकांत जगह की खोज में चला था। क्या आप अपने ही निकट थोड़ी जगह हमें भी रहने को देंगे ?''

यह सुनकर मुझे बड़ी खुशी हुई। मैंने कहा, ''इससे अधिक खुशी की बात भला मेरे लिए और क्या होगी! मेरा तो इसमें फायदा ही है। मेरी पत्नी को एक सहेली, मुझे एक दोस्त और मेरे बच्चों का एक बहन और मिल जाएगी! अगर आप रुकना चाहें तो अपनी जायदाद का आधा हिस्सा मैं आपको दे सकता हूं।''

वॉल्लन के साथ हुई बातचीत के बाद जो विचार मेरे मन में उठे वे बड़े भावनापूर्ण और मोह पैदा करने वाले थे। बात यह थी कि मेरी और मेरी पत्नी की इच्छा तो यूरोप लौटने की तनिक भी नहीं थी। लेकिन हम लोग यह भी नहीं चाहते थे कि हमारे कारण बच्चों को भी अपनी सारी जिन्दगी इस टापू पर ही बितानी पड़े। इसलिए मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और यूरोप के बारे में सारी बातें बताने के बाद पूछा कि क्या वे कप्तान लिटिलटन के साथ वहां जाना चाहते हैं या सारी जिन्दगी यहीं रहने में उन्हें संतोष है? मैंने उनसे कहा कि ऐसा मौका फिर कभी आएगा या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. एक
  2. एक
  3. दो
  4. दो
  5. तीन
  6. तीन
  7. चार
  8. चार
  9. पाँच
  10. पाँच
  11. छह
  12. छह
  13. सात
  14. सात
  15. आठ
  16. आठ
  17. नौ
  18. नौ
  19. दस
  20. दस

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book