लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

161 पाठक हैं

जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


इस बार फ्रिट्‌ज को गए पांच दिन हो चुके थे। इस बीच उसकी कोई सूचना नहीं मिल सकी थी। पांच दिन तक तो किसी तरह पत्नी और बच्चों को मैं धीरज बंधाता रहा। लेकिन पांच दिन बाद खुद मेरा ही धीरज टूटने लगा। रह-रह कर मेरा ध्यान समुद्री यात्रा के खतरों की ओर जाता। उधर पत्नी की बेचैनी भी नहीं देखी जाती थी। मां की ममता उसके अन्दर इस तरह उमड़ रही थी कि मेरी आँखों की नींद तक गायब हो गई। अन्त में हमने फ्रिट्‌ज की खोज करने का फैसला किया।

दूसरे दिन सुबह हम अपना जहाज 'एलिजाबेथ' लेकर फ्रिट्‌ज की खोज में निकल पड़े। वैसे तो पत्नी को समुद्री जिन्दगी से चिढ़ थी लेकिन फ्रिट्‌ज के प्रति ममता के कारण वह भी अपने को न रोक सकी। इस तरह एक लम्बे अरसे के बाद एक बार फिर हमारा पूरा परिवार समुद्र की लहरों पर खेलने लगा।

हम कुछ ही दूर गए होंगे कि अर्नेस्ट भर्राई हुई आवाज में बोला, ''पापा, वह देखो! लगता है कोई समुद्री लुटेरा है। कितना भयानक लग रहा है उसका चेहरा !'' हम सब लोग चौकन्ने होकर देखने लगे। कुछ दूर पर एक नाव दिखाई दी। उस पर जो आदमी था उसके सिर पर चिड़ियों के पंखों का मुकुट लगा हुआ था और शरीर के सभी अंगों पर बड़ी विचित्र-विचित्र रंगीन आकृतियां बनी थीं। जैक का अंदाज भी यही था कि यह कोई समुद्री लुटेरा है! हो सकता है, इसके और साथी भी पीछे आ रहे हों। मैंने सोचा, ऐसे मौके पर बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। हो सकता है सफलता मिल जाए। इसलिए मैंने मलय भाषा में आवाज दी। आवाज सुनते ही नाव करीब आने लगी। तब मैंने फिर उसी भाषा में पूछा, ''क्या तुम्हारा नाम फ्रिट्‌ज है? क्या तुम धुएं वाली चट्टान का पता लगाने गए थे ?'' धुएं वाली चट्टान का नाम सुनकर जैक और अर्नेस्ट थोड़ा-सा चौंके और मेरे चेहरे की ओर देखने लगे। इतने में ही वह नाव हमारे जहाज से आ लगी और वह भयानक-सा लगने वाला आदमी नाव पर से उछलकर जहाज पर आ गया। जैसे ही हम लोगों ने फ्रिट्‌ज को पहचाना बच्चे मारे खुशी के उछल-से पड़े। लेकिन मेरे मुंह से केवल एक ही सवाल निकला, ''तुम्हें अपनी खोज में सफलता मिली ?''

फ्रिट्‌ज ने मुंह से तो कोई उत्तर नहीं दिया लेकिन उसकी आँखों की चमक से साफ पता चलता था कि वह सफलता प्राप्त करके लौटा है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. एक
  2. एक
  3. दो
  4. दो
  5. तीन
  6. तीन
  7. चार
  8. चार
  9. पाँच
  10. पाँच
  11. छह
  12. छह
  13. सात
  14. सात
  15. आठ
  16. आठ
  17. नौ
  18. नौ
  19. दस
  20. दस

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book