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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


अब अजगर और भी मोटा हो गया और सुस्त पड़ने लगा। मैं यह सारी घटना खिड़की में से बैठा देख रहा था। मेरी पत्नी तथा बच्चे भी इधर-उधर से झांकने की कोशिश कर रहे थे। तभी मुझे याद आया कि अपना शिकार निगल लेने के बाद अजगर इतना भारी हो जाता है कि इधर-उधर हिल-डुल तक नहीं सकता। उसे सुस्ती सताने लगती है। इसलिए मैंने सोचा, उसे मारने का सबसे अच्छा मौका यही है।

मैं झटपट बन्दूक लेकर तैयार हो गया। फ्रिट्‌ज और जैक भी मेरे साथ आए। जब हम अजगर के नजदीक पहुंचे तो पहले तो उसने अपना सिर उठाने की कोशिश की, लेकिन तुरंत ही असहाय होकर उसने सिर को सिकोड़ लिया। उसे हिलने-डुलने तक में परेशानी हो रही थी। यह देखकर मैंने और फ्रिट्‌ज ने एक साथ निशाना साधकर घोड़ा दबा दिया। जैसे ही हमारी बन्दूकें दगीं, मैंने देखा, हमारे निशाने ठीक अजगर के सिर और आँख पर लगे हैं। दो-एक बार उसने उछलने की कोशिश तो की, लेकिन कोई उपाय न चला और वह मरकर वहीं ढेर हो गया।

इस प्रकार हमें अजगर पर विजय तो मिल गई लेकिन इसके लिए हमें अपने एक स्वामिभक्त जानवर को खोना पड़ा। जितनी खुशी हमें अजगर को मारने की थी, उससे कहीं ज्यादा दुःख अपने गधे के मरने का था।


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    अनुक्रम

  1. एक
  2. एक
  3. दो
  4. दो
  5. तीन
  6. तीन
  7. चार
  8. चार
  9. पाँच
  10. पाँच
  11. छह
  12. छह
  13. सात
  14. सात
  15. आठ
  16. आठ
  17. नौ
  18. नौ
  19. दस
  20. दस

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