मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
|
4 पाठकों को प्रिय 161 पाठक हैं |
जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
इस घटना से हमारी परेशानी और बढ़ गई। हमें ऐसा लगा जैसे अब हमारी एक भी बत्तख जिन्दा नहीं बचेगी। लेकिन हमारे सामने ऐसा कोई भी उपाय नहीं था कि हम बत्तखों को बचा पाते। फिर भी किसी तरह अपने आपको और अपने जानवरों को बचाना था। इसलिए घोंसले पर जाने का इरादा छोड़ हम फिर गुफा में लौट आए और दरवाजों को मजबूती से बंद कर लिया। मैंने सबको यह हिदायत दे दी कि न तो दरवाजा खोला जाए, न बाहर ही कोई निकले। जानवरों के लिए भी मैंने यही पाबन्दी लगा दी। कभी-कभी बत्तखों की दर्दनाक आवाजें ऐसे सुनाई देती थीं, मानो कोई उनका गला घोट रहा हो। हम दिल मसोसकर रह जाते। उन्हें बचाने का कोई भी तरीका नहीं था।
तीसरे दिन की बात है। एक आवश्यक कार्य से हमे दरवाजा खोलना जरूरी हो गया। मैंने अपनी पत्नी से यह भी कह दिया कि पूरी सावधानी बरती जाए और काम करके जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया जाए। लेकिन जैसे ही दरवाजा खोला गया, हमारा एक गधा पलक झपकते ही निकल भागा। जैसे वह दरवाजा खुलने की प्रतीक्षा ही कर रहा हो। हमने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इतना तेज भागा जैसे कोई कैद से छूटकर भागता है। वह उसी तालाब की ओर भागता चला जा रहा था।
आज जब मुझे वह घटना याद आती है तो मैं सोचता हूं कि शायद उसकी मौत ही इतनी तेजी से उसे अपनी ओर खींच रही होगी। जब वह तालाब के बिल्कुल किनारे पहुंच गया तो अजगर ने अपना मुंह पानी से बाहर निकाला। गधे को देखकर वह झटपट बाहर आ गया और उसकी ओर बढ़ा। यह देखकर गधा भी ठिठका और पीछे लौटने को मुड़ा। लेकिन उस भयंकर अजगर ने झपटकर उसे अपनी चपेट में ले लिया और कुछ ही देर में उसकी हड्डी-पसली तोड़कर धर दी। गधे का दम घुट गया। इसके बाद अजगर ने उसे निगल लिया।
|