मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
उसी समय मुझे ध्यान आया कि हमने अभी तक अपने इस नये जहाज का नाम नहीं रखा है। मैंने बच्चों की ओर इशारा करके पूछा, ''बच्चों, अब हमें अपने इस जहाज का नाम भी रख लेना चाहिए। मेरी इच्छा है कि इसका नाम तुम्हारी मां के नाम पर रखा जाए। बोलो, तुम्हारी क्या राय है ?''
बच्चों ने एक साथ कहा, ''मंजूर है! मंजूर है! !'' और मैंने घोषणा कर दी, ''आज से हमारे इस जहाज का नाम 'दि एलिजाबेथ' होगा।'' जैसे ही मैंने नाम की घोषणा की वैसे ही बच्चों ने अपना उल्लास प्रकट करने के लिए एक बार फिर तोप दागी।
जितने दिनों फ्रिट्स, अर्नेस्ट, जैक और मैं समुद्र में 'दि एलिजाबेथ' के बनाने में व्यस्त रहे, मेरी पत्नी भी बेकार नहीं रही। जब उसने अपने किए हुए काम की जानकारी हम लोगों को दी तब पता चला कि उसने भी एक महत्त्वपूर्ण काम पूरा कर लिया था। वह हम लोगों को नदी के एक मनमोहक किनारे की ओर ले गई। वहां एक झरना था। झरने के पास ही बड़ी मेहनत से तैयार की गई सब्जियों की एक बाड़ी थी। बाड़ी में बड़ी सुन्दर-सुन्दर क्यारियां बनी हुई थीं। एक ओर से दूसरी और जाने के लिए रास्ते थे। आलू मटर, सेम और गन्ने की वे क्यारियां नन्हे फ्रांसिस और मेरी पत्नी ने तैयार की थीं। पास ही पहाड़ी के निकट अनानास के नन्हें-नन्हें पौधे लहलहा रहे थे और पेड़ों के बीच-बीच तरबूजों की बेलें फैली हुई थीं। पत्नी ने बताया कि ''बाड़ी के लिये जगह का चुनाव करते समय मैंने सबसे ज्यादा ध्यान सिंचाई की सुविधा का रखा। यह जगह नदी के इतनी पास है कि बांस के नलों से बड़ी आसानी से सिंचाई की जा सकती है।''
सब्जी की उस बाड़ी को देखकर मेरे आनन्द की सीमा न रही।
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