सदाबहार >> कर्बला कर्बलाप्रेमचंद
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मुस्लिम इतिहास पर आधारित मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया यह नाटक ‘कर्बला’ साहित्य में अपना विशेष महत्त्व रखता है।
कीस– यजीद को देखो, खासा हब्शी मालूम होता है।
हज्जाम– जियाद तो खासा सारवान है।
मुस०– तो कल शाम को जामा मसजिद में आने की ठहरी।
शिमर– तो हम लोग चलकर अपने कबीलों को तैयार करें, ताकि जो लोग इस वक्त यहां न हों, वे भी आ जायें।
[सब लोग चले जाते हैं]
मुस०– (दिल में) ये सब कूफ़ा के नामी सरदार हैं। हमारी फतह जरूर होगी और एक बार तकदीर को जक उठानी पड़ेगी। बीस हजार आदमियों की बैयत मिल गई, तो फिर हुसैन को खिलाफ़त की मसनद पर बैठने से कौन रोक सकता है, जरूर बैठेंगे।
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