सदाबहार >> कर्बला कर्बलाप्रेमचंद
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मुस्लिम इतिहास पर आधारित मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया यह नाटक ‘कर्बला’ साहित्य में अपना विशेष महत्त्व रखता है।
सुले०– बेशक, तुम्हारा हक सबसे ज्यादा है। यह खत लो, और इसके पहले कि हमारा पसीना ठंडा हो, मक्का की तरफ़ रवाना हो जाओ।
[युवक चला जाता है।]
आइए, हम लोग मस्जिद में नमाज अदा कर लें। खत का जवाब तीन दिन में आएगा। हज़रत हुसैन के आने में अभी एक महीने की देर है। जियाद भी शायद उसके पहले नहीं लौट सकता। ये दिन हमें तैयारियों में सर्फ़ करने चाहिए, क्योंकि यजीद की खिलाफत का फैसला कूफ़ा में होगा या तो वह खिलाफत के मसनद पर बैठेगा, या जाहिलों की इबादत का मजार बनेगा। अगर कूफ़ा ने खिलाफ़त को नबी के खानदान में वापस कर दिया, तो उसका नाम हमेशा रोशन रहेगा।
[सब जाते है।]
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