लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


अचानक बैसूफा ने इधर-उधर देखा और बोला-“अरे सुरैया कहाँ है?” तभी एक खूबसूरत औरत एक हाथ में सुराही और दूसरे हाथ में गिलास लिये बैसूफा के सामने हाजिर हुई।
बैसूफा बोला-“आज हम बहुत खुश हैं। आज हम खूब शराब पियेंगे।” उस औरत ने दो जाम बनाकर बैसूफा और सेनसन की ओर बढ़ा दिये।
बैसूफा ने सेनसन के गिलास से गिलास टकराकर कहा-“आज तुम्हारी वजह से हमारा बहुत बड़ा काम पूरा हो गया।”
"कौन-सा काम उस्ताद?” शराब पीते हुए सेनसन ने पूछा।
“वह काम...परीस्तान की देवसेना को अपने कब्जे में करना है बेटे।” बैसूफा आगे बोला-“हमारे पाताल लोक की देवसेना परीस्तान की देवसेना का मुकाबला कभी नहीं कर सकती थी, लेकिन आज हम सिर्फ तुम्हारी वजह से परीस्तान के भी मालिक बन चुके हैं। न तुम चिराग पाने के लालच में अलादीन से टकराते, न ही शहजादी के सौन्दर्य के दीवाने होते और न शहजादी तुम्हें विष देकर मारती, न ही हमें चिराग हासिल होता। आज तक जो भी हुआ, अपने जादू से हमें पहले ही इसका पता था। आज अलादीन पत्थर की बेजान मूर्ति बना पड़ा हैं, और अब सारी दुनिया, पर हमारा कब्जा हो जायेगा।”
इतना कहकर बैसूफा ने कहकहा लगाया और शराब का एक और जाम लेकर सेनसन से बोला-“आज हम तुमसे बहुत खुश हैं। मांगो क्या मांगते हो?"
सेनसन ने ललचाई निगाहों से रेहाना को देखा। उसने सोचा, चलो राजकुमारी नहीं तो रेहाना ही सही। व्रहु धीरे से बोला- “उस्ताद, रेहाना से मेरी शादी करा दो, मैं रेहाना के साथ अपने गांव में रहना चाहता हूँ।”
उसकी बात सुनकर बैसूफा जोर से हँसी और बोला-“जरूर-जरूर, हम तुम्हारी शादी रेहाना से आज ही करा देंगे।"
इतना कहकर बैसूफा ने एक मंत्र फेंका और रेहाना का हाथ सेनसन के हाथ में देता हुआ बोला-“आज से रेहाना तुम्हारी हो गई, जाओ ऐश करो।”
सेनसन रेहाना को पाकर बेहद खुश हुआ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book