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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


अब रहमान की समझ में सारी बात आ गयी कि सेनसन अलादीन से बदला लेने के लिये उससे हाथ मिलाना चाहता है।
लेकिन रहमान तो वैसे भी सेनसन का एहसानमंद हो चुका था, क्योंकि उसी ने उसकी आंखों पर से भ्रम का पड़ा पर्दा उठाया था। अलादीन की सच्चाई बताई थी, वरना वह तो सारी उम्र फकीर बनकर ही अपनी जिन्दगी गुजार देता।
रहमान को सोच में डूबा देख सेनसन उससे बोला-रहमान! अलादीन हम दोनों का दुश्मन है। अगर हम दोनों आपस में मिल जायें, तो हम अलादीन की ईंट-से-ईंट बजा सकते हैं।”
“ठीक है। मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हैं। बोलो हमें क्या करना चाहिये?” रहमान ने फौरन ही सेनसन की बात मान ली।
“सबसे पहले मैं तुम्हें अपने उस्ताद जादूगर बैसूफा के पास ले चलूंगा। इस काम में वो भी हमारे साथ हैं। फिर वहीं पर बैठकर आंगे की योजना बनाई जायेगी। क्या तुम राजी हो?”
“हाँ...हाँ...जरूर।” रहमान मजबूत इरादों से बोला-“चलो कहाँ चलना है।
सेनसन कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप झोंपड़ी से बाहर आ गया। रहमान ने भी ऐसा ही किया। बाहर आकर सेनसन अपनी आंखें बंद करके कोई मंत्र पढ़ने लगा।
मंत्र पूरा होते ही उसके सामने की जमीन एक गड़गड़ाहट के साथ बीच में से फट गयी और वहाँ एक सुरंग नजर आने लगी। रहमान भौंचक्का होकर यह सब कारनामा देख रहा था।
सेनसन ने अपनी आंखें खोलीं और बोला-“यह सुरंग मेरे उस्ताद के महल तक जाती है। आगे का रास्ता हमें इसी सुरंग से तय करना होगा, इसलिये आंखें बंद करके मेरे साथ इसी सुरंग में कूद जाओ।”
रहमान राजी हो गया। उसने अपनी आंखें बंद कीं। सेनसन ने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर सुरंग में कूद गया।
कुछ देर बाद रहमान ने आंखें खोलकर अपने आसपास देखा, तो उसने खुद को एक अज़ीब-सी दुनिया में पाया। एक नये तरह का रहस्यमयी वातावरण का नजारा उसके सामने था। शानदार महल, नौकर-चाकर, शाही ठाट-बाट देखकर रहमान भौंचक्का रह गया। उस जगह की खूबसूरती देखने लायक थी।

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