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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


“हुक्म करो महाबली बैसूफा! हुक्म करो। किसकी शामत आयी है? किसका लहू चाहिये?"
सारी खोपड़ियां एक साथ कर्कश आवाज में बोलने लगीं। उनकी आवाज इतनी भयानक थी कि कोई मजबूत दिल वाला भी उसे सुनकर बेहोश हो जायें।
बैसूफा ने अपनी भयंकर आंखें खोलीं और खून की तरह उबलती लाल-लाल आंखों से हवा में नृत्यं करती मानव खोपड़ियों और नरकंकालों को देखा। इसके बाद वह एक ठहाका लगाकर बोला-“नहीं, अभी मारना किसी को नहीं है। मेरी बात ध्यान से सुनो, यह जो लाश तुम देख रहे हो, यह मेरे सबसे प्यारे शार्गिद सेनसन की है। किसी ने इसको मार डाला है। इसको मौत के हवाले करने वाले को मैं दर्दनाक मौत देना चाहता हूँ, लेकिन फिलहाल तो मैं इसे फिर से जिन्दा करना चाहता हूँ।”
मानव खोपड़ियां और नरकंकाल फिर से कर्कश आवाज में बोले-“यह काम कौन-सा मुश्किल है महाबली, यह जिन्दा हो जायेगा। इसकी आत्मा जहन्नुम में भटक रही है।”
क्या कहा, जहन्नुम में?” बैसूफा हड़बड़ाकर बोला--"मेरे शागिर्द की रूह जहन्नुम में, यह कैसे हो सकता है?”
"ऐसा ही हुआ है महाबली! अल्लाह ने इसकी रुह को जेहन्नुम में झौंक दिया है।”
"हूँ...। लेकिन इसकी रुह को वापस लाना बंहुत जरूरी हैं।”
“यह कोई मुश्किल काम नहीं है।” एक नरकंकाल बोला-आप हुक्म करें, हम सब अभी जाकर इसकी रुह को ले आते हैं।”
"नहीं, सब नहीं जायेंगे, इस काम के लिये केवल सिनी जंगालू जायेगा।
तभी हवा में तैरता हुआ एक कंकाल नीचे उतरकर आया। उसने बैसूफा के सामने सिर झुकाया और कहने लगा-“आप फ़िक्र न करें महाबली बैसूफा, मैं अभी जाकर इसकी रुह को जहन्नुम से आजाद करा लाता हूँ।”
यह जंगालू था।
"इतना कहकर जंगालू ऊपर उठने लगा। बैसूफा ने एक ठहका लगाया और जाते हुए जंगालू को होशियार किया-“जल्दी लौटकर आना, मुझे अपने इस चेले को जिन्दा करके, इसको मारने वालों से बदला लेना है।”
“मैं जल्द ही लौटुंगा महाबली!” इतना कहकर वह जंगलू का नरकंकाल जमीन फाड़कर बाहर निकल आया। वह जिस जगह से निकला था वहं जगह फिर से वैसी ही संमतल हो गयी जैसी थी।

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