लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


एक दिन उस जादूगर के दिल में आया कि देखें तो अब गुफा में बंद अलादीन के क्या हाल हैं? वह जिंदा भी है या मर-खप गया है?
जादूगर ने अपने जादुई शीशे में अलादीन को देखा तो वह दंग रह गया।
अलादीन इस समय शहजादी नूरमहल के साथ अपने आलीशान महल में मौजूद था। अलादीन के ठाठ-बाट देखकर अफ्रीकी जादूगर जल-भुनकर राख हो जाने को तैयार था। वह तो सोच रहा था, अलादीन तो कभी का मर चुका होगा, अब तो उसकी सड़ी-गली लाश को पहचानना भी मुश्किल होगा, मगर यहाँ तो मामला ही उलटा था।
अलादीन तो शहजादी के साथ अपनी दुनिया में मस्त था। जादूगर तो अलादीन की असलियत जानता था। उसे मालूम था कि वह एक फटेहाल लड़का था और जो अब उसके इरादों का सत्यानाश करने के बाद बादशाह की लड़की के साथ मौज-मस्ती कर रहा था। यह बात जादूगर को गंवारा न थी।
उसने उसी वक्त अलादीन को सबक सिखाने की ठान ली। वह अपने जादुई घोड़े पर सवार होकर आसमान के रास्ते अलादीन के महल की ओर चल दिया।
उसके घोड़े की रफ्तार इतनी तेज थी कि जादूगर कुछ ही घंटों में बगदाद पहुँच गया।
बगदाद पहुँचकर उसने दस दिन के लिये एक सराय किराये पर ली और वहीं पर रहकर अलादीन से बदला लेने की तरकीब सोचने लगा। उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था, कि वह दस दिन में अपना काम पूरा कर लेगा। अलादीन अब तक पूरे बगदाद में मशहूर हो चुका था। बगदाद का कोई आदमी ऐसा नहीं था जो अलादीन को नहीं जानता था। जादूगर को अलादीन का इतना अमीर और मशहूर होना एक आंख नहीं भा रहा था।
अलादीन के मशहूर होने की वजह उसका नेक और दयालु होना था। वह रोज सुबह शानदार रथ पर निकलता था और रास्ते में उसे जो भी जरूरतमंद नजर आता उस पर वह अंशर्फियां लुटा देता था। पूरा दिन वह दोनों हाथों से पैसा लुटाता और गरीबों की मदद किया करता। उसने शहर में बहुत-सी सराय, दवाखाने आदि बनवा दिये थे, जिससे गरीब लोगों को फायदा पहुँच सके।

उसने बहुत-सी जगहों पर कुयें खुदवायें। जो भी परेशान आदमी अलादीन के पास अपनी परेशानी लेकर जाता था, अलादीन दिल खोलकर उसकी मदद किया करता था। अपनी इन्हीं आदतों की वजह से बह पूरे बगदाद की आंखों का तारा बन चुका था। क्योंकि अलादीन को किसी बात की कोई फिक्र नहीं थी, इसी कारण वह पूरी मौज-मस्ती से रह रहा था।
कभी-कभी वह शिकार खेलने तथा दूसरे देशों की सैर करने भी निकल जाता था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book