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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


सुबह होने पर!
अलादीन ने एक शानदार-वलीमे की दावत का इन्तजाम किया। दावत
में बादशाह, उसके वजीर, दरबारियों और सेनापति आदि को भी बुलाया गया था।
शाम तक सभी लोग अलादीन के महल में इकट्ठा हो गये। बावर्ची खाना बनाने में लग गये। शहर के तमाम रईसों को बुलाया गया था। सभी आ गये, बादशाह की सवारी शाम के वक्त महल के दरवाजे पर आ पहुंची। अलादीन के दोस्त बने जिन्न ने बादशाह का इस्तकबाल किया।
बादशाह अलादीन के ठाठ-बाट देखकर बेहद खुश हुआ। ऐसा शानदार महल बादशाह या दूसरे किसी ने आज तक नहीं देखा था। असलियत को छोड़ो, किसी ने सपनों में भी ऐसे महल का तसव्वुर नहीं किया था। जो भी महल को देखता दंग रह जाता। बादशाह को अपनी बेटी की किस्मत पर नाज़ हो रहा था।
लोग खुद-ब-खुद महल की खूबसूरती का बखान कर रहे थे। अलादीन इन बातों को सुनकर बड़ा खुश हो रहा था।
जिस वक्त खाना पेश किया गया, लोग फिर से दंग रह गये। दुनिया का कोई भी खाना ऐसा नहीं था जो उस समय वहाँ न हो और खाना भी ऐसा लजीज कि खाने वाले अपनी उंगलियां चाट रहे थे। लोग जरूरत से कहीं ज्यादा खा रहे थे। वे खाना खाते जाते थे और वाह-वाह करते जाते थे।

उधर!
वह आदमी जो सौदागर का भेष बनाकर अलादीन का नकली चाचा बनकर आया था, वह अफ्रीका का खतरनाक जादूगर था। वह यह सोचे बैठा था कि अब तक तो अलादीन गुफा में दबकर मर-खप भी गया होगा, क्योंकि उसके ख्याल से वह कभी भी गुफा से बाहर नहीं निकल सकता था।
अलादीन की वजह से वह अपने इरादों में नाकाम लौटा था, लेकिन वह इसी बात से मुतमईन था कि वह अलादीन को गुफा में कैद कर आया है, अगर चिराग उसे नहीं मिला तो किसी को भी नहीं मिल पायेगा। उसके बाद उसने उस ओर ध्यान देना बंद कर दिया।
लेकिन अलादीन का बुरा वक्त हमेशा के लिये तो खत्म हुआ नहीं था।

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