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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


अलादीन बेचैनी से अपनी मां का इन्तजार कर रहा था। आते ही उसने उससे पूछा-“क्या कहा बादशाह ने? क्या वे तैयार हैं?".
“बेटा! बादशाह तुझे एक नजर देखना चाहते हैं। तुझे उन्होंने दरबार में बुलाया है। तुझे उनके पास जाना होगा।” मां ने कहा।
ठीक है, मैं जरूर जाऊंगा।” इतना कहकर अलादीन ने फौरन चिराग घिसकर जिन्न को बुलाया।
जिन्न चिराग से बाहर आयी, तो अलादीन उससे बोला-“मेरे लिये फौरन एक शानदार घोड़ा, शाही कपड़े, हथियार और कीमती गहने लेकर आओ।
जिन्हें पहनकर जब मैं चलूं तो ऐसा लगे कि कोई बादशाह आ रहा है।”
“ठीक है मेरे आका।” कहकर जिन्न गायब हो गया। जब वह लौटा तो अपने साथ एक शानदार घोड़ा, शाही लिबास, हीरे जड़ी मूठ की तलवार और कीमती गहने लेकर आया।
शाही पोशाक पहनकर, हीरों वाली तलवार लटकाकर अलादीन बादशाह के महल की ओर चल दिया। उसके कपड़ों में बेशकीमती हीरे जड़े हुए थे। जब वह चला जा रहा था तो लोग आंखें फाड़-फाड़कर उसे देख रहे थे, उन्होंने इतना खूबसूरत तथा आलीशान शानो-शौकत वाला आदमीं पहले कभी नहीं देखा थी। चलने से पहले अलादीन की मां ने उसकी सैकड़ों बलायें ली थीं।
अलादीन की सवारी जब राजमहल में पहुंची तो बादशाह भी उसे देखकर हक्का-बक्का रह गया। उसने दौड़कर उसे गले लगा लिया। उसकी बहुत आवभगत की गयी। तमाम दरबारी भी अलादीन को देखकर रश्क कर रहे थे तथा उसकी तारीफों के पुल बांध रहे थे।
अलादीन की तारीफें सुन-सुनकर वजीर बहुत जल-भुन रहा था। उसके दिल में नफरत की आग भड़क रही थी, लेकिन फिर भी वह कुछ नहीं कर सकता था। सकता था।
बादशाह ने अलादीन को इज्जत के साथ् मखमली मसनद पर बैठाया। उसके लिये बहुत बढ़िया शर्बत पेश किया। उसके बाद उसने उससे बातचीत करके उसकी और शहजादी की शादी अगले दिन कर देने का ऐलान कर दिया।

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