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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


अगले दिन सुबह-सुबह अलादीन शहर में घूमने निकला तो उसने देखा कि शहर की सफाई की जा रही है और सड़कों को धोया जा रहा है। अलादीन ने इस बारे में सफाई करने वाले एक आदमी से पूछा-"क्यों भाई, ऐसी क्या बात है, जो आप लोग सारे शहर की सफाई कर रहे हैं और सड़कें भी धोयी, जा रही हैं?”
“अरे भाई...क्या तुम नहीं जानते! आज वजीर के बेटे रहमान से शहजादी नूरमहल की शादी होने वाली है। इसी वजह से सारे शहर की सफाई की जा रही है।”
"क्या कह रहे हो भाई?” मैं सच कह रहा हूँ, यकीन नहीं आता तो खुद ही देख लेना।”
यह बात सुनकर अलादीन के सिर में धमाका-सा हुआ। उसके होश उड़ गये। उसे यक़ीन ही नहीं हुआ कि वह आदमी सच बोल रहा है? उस आदमी की बात अलादीन के दिल में तीर की तरह चुभ गयी। वह किसी प्रकार खुद कों संभालता हुआ घर पहुँचा और अपनी अम्मी को सारी बात बताई।
उसकी अम्मी को भी अलादीन के मुंह से यह बात सुनकर कि नूरमहल की शादी वजीर के बेटे से हो रही है, तो उन्हें अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। वह आश्चर्य से बोलीं-नहीं बेटा...ऐसा नहीं हो सकता। तेरे समझने में गलती हुई होगी। बादशाह ने खुद मुझसे नूरमहल की शादी तेरे साथ करने का वायदा किया था। हो सकता है कि वह आदमी ही झूठ बोल रहा हो।”
“नहीं अम्मी! यह बात एकदम सच है। मैंने और भी कई लोगों से इस ' बारे में पता किया है, यह बात बिल्कुल सच है। लेकिन तू घबरा मत। मैं ऐसा खेल खेलूंगा कि सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। तू बस देखती जा।”
इतना कहकर अलादीन अपना जादुई चिराग लेकर एक सुनसान जगह पर पहुंची। वहाँ उसने चिराग को घिसा, चिराग घिसते ही जिन्न सामने आ गया और हमेशा की तरह बोला-“क्या हुक्म है मेरे आका?"
“आज मैं बहुत परेशान हूँ जिन्न।”
“आपको किसने परेशानी में डाला है, मुझे उसका नाम बताइये, मैं उसे बर्बाद कर दूंगा?”
“किसी को बर्बाद करने की कोई बात नहीं है। दरअसल शहजादी नूरमहल की शादी मुझसे न होकर किसी और के साथ हो रही है। बादशाह अपने वायदे को भूल गया है।” अलादीन दुःखी होकर बोला।
“अगर ऐसी बात है तो आप हुक्म करें।” जिन्न गरजकर बोला-“मैं शहजादी नूरमहल को यहीं लाकर आपके कदमों में डाल देता हूँ।”
“नहीं...नहीं...! तुम ऐसा मत करना। इससे तो नूरमहल की बदनामी होगी।” अलादीन बोला-“तुम जरा देर रुको, मैं कोई रास्ता सोचता हूँ।” अलादीन इतना कहकर सोच में गुम हो गया। वह काफी देर सोचता रहा। जिन्न उसके सामने सिर झुकाकर बैठ गया। काफी देर सोचने के बाद अलादीन जिन्न से बोला-“तुम ऐसा करो, जब शहजादी नूरमहल की शादी वजीर के लड़के से हो जाये तो तुम सुहागरात मनाने से पहले ही उन दोनों को पलंग सहित उठाकर यहाँ ले आना।”
“जो हुक्म मेरे आका।” इतना कहकर जिन्न गायब हो गया।
अलादीन के चेहरे पर भी सुकून के भाव उभर आये। उसे यकीन हो गया कि अब उसकी नूरमहल उससे दूर नहीं है।

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