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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


अलादीन की हैरानी की एक वजह वह सुरंग थी जो कि धरती के फटने के बाद साफ-साफ नजर आ रही थी।
“देखो बेटा...! देखो...यही वो सुरंग है जिसमें जाने के बाद अन्दर एक मजार हैं। उस मजार पर एक चिराग जल रहा है, वही चिराग करामाती चिराग, है, जिसके पास वह चिरागं होगा, वही इस दुनिया का शहंशाह होगा।”
“अगर ऐसी ही बात है तो चचा जान, चलिये जल्दी से सुरंग में चलकर
उस चिराग को निकाल लाते हैं।” अलादीन उत्साहित होकर बोला।।
“नहीं, मेरे बच्चे! नहीं...मैं नहीं जा सकता।” सौदागर ने दुःखी स्वर में बताया-“अगर मैंने इस सुरंग की ओर एक कदम भी बढ़ाया तो मेरा भी वही अंजाम होगा जो इन लोगों का हुआ है।”
"ऐसा क्यों है चचा जान?” अलादीन ने जिज्ञासाभरे स्वर में पूछा।
"तू तो जानता है बेटा कि मैं व्यापारी हूँ-और व्यापार में इंसान को जिन्दगी में न जाने कितनी बार झूठ का सहारा लेना पड़ता है, इसलिये मैं चाहकर भी इस सुरंग के अन्दर नहीं जा सकता। लेकिन मुझे यकीन है कि तुम एकदम सच्चे हो। आज तक तुमने किसी से कोई ल-कुपट नहीं किया है और न किसी तरह का कोई फरेब इसलिये मुझे लगता है कि एक तुम ही हो जो उस चिराग के असली हकदार हो-और फिर तुम मेरे ही तो खून हो। इस वजह से चिराग तुम हासिल करो या मैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम खुदा का नाम लेकर इस गुफा में उतर जाओ। अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा।”
"मगर चचा जान...!”
अगर-मगर मत करो बेटा! अगर कोई और ईमानदार आदमी यहाँ आ गया तो वह चिराग को हासिल कर लेगा और हम जिन्दगी भर हाथ मलते रह जायेंगे। तुम मेहरबानी करके एक बार हिम्मत कर लो अलादीन, तुम्हारी हिम्मत से हमारी जिन्दगी संवर जायेगी।”
इसके बाद भी वह अलादीन का हौसला बढ़ाता रहा, और बहादुरी की मिसालें देता रहा। आखिरकार अलादीन सुरंग में उतरने को राजी हो गया।
अलादीन के सुरंग में उतरने को राजी हो जाने के बाद सौदागर ने अपनी जेब से एक अंगूठी निकाली और उसे अलादीन की उंगली में पहना दिया और बोला-“बेटा! यह अंगूठी मुझे एक फकीर ने दी थी। इसके अन्दर यह खासियत है कि जब तक यह तुम्हारी उंगली में रहेगी, कोई भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। तुमने तो देखा ही था कि जंगल में आते वक्त वे जंगली जानवर कैसे हमसे डर-डरकर दूर भाग रहे थे, यह सब इसी अंगूठी की शक्ति का ही नतीजा था।
अलादीन ने देखा कि उस अंगूठी में से इस कदर रोशनी निकल रही थी। कि आस-पास का सारा दाया रोशनी से भरे उठा था।

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