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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन

दो शब्द.......


संसार के हर देश, देश ही नहीं प्रान्त और जिलों तक की अपनी लोक-कथाएं होती हैं। लोक कथाएं समाज की व्यवस्था, रीति-रिवाज और सोच-विचार पर प्रकाश डालती हैं। कुछ लोक-कथाएं नीतिपरक होती हैं जो किसी देश-काल की सीमा में न बंधकर पूरे विश्व के लिए, पूरे विश्व के हितार्थ हो जाती हैं। भारत की पंचतंत्र की कथाएं, ‘हितोपदेश की कथाएं इसी श्रेणी में आती हैं। ये सिर्फ हिन्दोस्तान के बच्चों के लिए ही शिक्षाप्रद नहीं बल्कि विश्व बाल साहित्य का अंग बन चुकी हैं।
इसी तरह ‘अलादीन और जादुई चिराग' की कथा है। यह कथा पूरे विश्व के बच्चों के लिए रोचकता, उत्सुकता और मनोरंजन का साधन है। ‘अलादीन और जादुई चिराग’ अफ्रीकी महाद्वीप की सबस प्रसिद्ध कथाओं में से है। यह फिक्सन (कल्पना लोक) पर आधारित कथा है; बावजूद इसके संसार के हर देश के बच्चों के लिए प्रिय कथा है।
इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण यह है कि इसमें बच्चे एक विशेष उम्र में जिस कल्पना लोक में विचरण करते रहते हैं, विचरण की उस जिज्ञासा की यह कथा पूर्ति करती है।
बच्चों का यह मनोविज्ञान होता है कि वे किसी के हाथों किसी को सताया जाता देखकर कल्पना करते हैं कि उनके पास कोई करिश्माई ताकत आ जाए, जिसके बल से वे दुष्ट को दण्ड दे सकें। गरीबों की गरीबी दूर कर सकें। फटे-हाल लोगों को तन को ढंकने का साधन दे सकें। यह सारा कार्य वे चुटकी बजाते पूरा करना चाहते हैं।
अलादीन के जादुई चिराग का जिन्न इन सब कार्यों को करता नजर आता है। वह जरूरत पड़ने पर पूरा-का-पूरा महल एक हाथ पर उठाकर दूसरे देश में लाकर रख देता है। हर वह काम पलक झपकते कर गुजरता है, जिसका हुक्म उसका आका उसे देता हो।
इन सबके साथ ही यह कथा इस बात की शिक्षा देती है कि दुष्ट को दुष्टता का फल अवश्य मिलता है। अच्छे कर्म का फल अच्छा होता है। परिश्रम का फल मीठा होता है।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह विश्वप्रसिद्ध बाल कथा 'अलादीन और दुई चिराग' बच्चों को बहुत-बहुत पसन्द आयेगी। उनका भरपूर मनोरंजन करेगी।
शुभकामनाओं के साथ!
- प्रकाशक

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