आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
देहासक्ति छूटते ही बाकी सारी आसक्तियाँ आपसे आप छूट जाती हैं। इसका पोषण करते हुए, इसको ठीक वैसे ही भूले रहिये, जैसे जीव इसका विसर्जन हो जाने के बाद भूल जाता है। ममता-मोह और माया के सारे संबंध देह तक ही हैं और जिस प्रकार इसके छूट जाने से संबंध भी टूट जाते हैं, ठीक उसी प्रकार इसका विस्मरण किये रहने में सारी आसक्तियाँ छूट जायेंगी और तब अंतिम समय में उनकी अनुभूति भी साथ लगी हुई न जायेगी। जीव निर्लिप्त और निर्मोहपूर्वक जाकर अनंत जीवन को ग्रहण कर लेगा।
मनुष्य का जीवन ही अंतिम नहीं है, इसके बाद एक दीर्घकालीन जीवन भी है, जिसके यापन में आवश्यक पुण्य का संबल इस जीवन में संचय करने के लिए अनासक्त भाव से कर्म करते हुए जीवन चलाइये और बाद में माया-मोह तथा आसक्ति से निर्बध होकर संसार से यात्रा कीजिये। तभी वहाँ जाकर दीर्घकालीन सुख, संतोष की प्राप्ति होगी।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न