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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4267
आईएसबीएन :00000

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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक


यह कार्य आध्यात्मिक विचारधारा से ओत-प्रोत दंपत्ति ही कर सकते हैं। इसलिए उत्कृष्ट प्रकार की संतान प्राप्त करना भी उन्हीं के लिए संभव होता है। कभी-कभी सज्जनों के घर में भी कुसंस्कारी बालक जन्मने के अपवाद होते तो हैं, पर मोटा नियम यही है कि जैसे भावना प्रवाह में बालक पलता है वैसे ही संस्कार उसके बनते हैं और धीरे-धीरे वह उसी ढाँचों में ढल जाता है। उपदेशों से ही बालक नहीं ढलते हैं, बल्कि श्रेष्ठ ढालने का ढाँचा एकमात्र अध्यात्म ही है।

यही बात परिवार के अन्य सदस्यों के ऊपर लागू होती है। पति-पत्नी में से एक भी उत्कृष्ट स्वभाव का हो तो दूसरे की अपूर्णता को बहुत हद तक दूर करके, सभी को बहुत अंशों में अपने अनुकूल बना सकता है। व्यवहार की सज्जनता से परिवार के अन्य सदस्य भी अपने अनुकूल बन जाते हैं। मित्रों और संबंधित व्यक्तियों पर भी यह बात बहुत हद तक लागू होती है।

संबंधित व्यक्ति अपने अनुकूल स्वभाव और आचरण रखें, अपने प्रति सद्भाव रखें तो उनके सान्निध्य में रहने से स्वर्ग जैसा सुख मिल सकता है। जिसके निकटवर्ती परिजन विरोधी स्वभाव रखते हैं, उसके लिए प्रत्यक्ष नरक ही है। भौतिक जीवन के इस स्वर्ग को नरक में और नरक को स्वर्ग में बदल देना हमारे अपने दृष्टिकोण एवं स्वभाव की उत्कृष्टता एवं निकृष्टता पर बहुत कुछ निर्भर है। अध्यात्म की ओर अभिमुख होकर यदि कोई मनुष्य अपने परिजनों को स्नेही एवं सहयोगी बना लेता है तो क्या यह कुछ लाभ है? धनी होना उतना सुखकर नहीं, जितना स्नेही परिवार प्राप्त करना। वह दोनों ही सुख प्रदान करने की अनंत क्षमता अध्यात्म विद्या में सन्निहित है। ऐसी महान् विद्या की उपेक्षा करना निश्चित रूप से कोई समझदारी की बात नहीं है।

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    अनुक्रम

  1. भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
  2. क्या यही हमारी राय है?
  3. भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
  4. भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
  5. अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
  6. अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
  7. अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
  8. आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
  9. अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
  10. अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
  11. हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
  12. आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
  13. लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
  14. अध्यात्म ही है सब कुछ
  15. आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
  16. लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
  17. अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
  18. आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
  19. आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
  20. आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
  21. आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
  22. आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
  23. अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
  24. आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
  25. अपने अतीत को भूलिए नहीं
  26. महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न

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