आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
गंदी गैसों के कारण वहाँ नई-नई तरह की बीमारियाँ फैलती जा रही हैं। कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं, जो केवल अमेरिका में ही पाई जाती हैं, उनके उपचार के लिए उसे निरंतर नई-नई औषधियों की खोज में लगे रहना पड़ता है। तीन चौथाई विज्ञान वहाँ एक चौथाई विज्ञान के दुष्परिणामों की रोक-थाम भर के लिए है। होता उल्टा है, विज्ञान जितना बढता है, वहाँ की समस्याएँ उतनी ही जटिल होती जा रही हैं। वहाँ के मूर्धन्य मनीषी आइंस्टीन तक को इसलिए कहना पड़ा था-"विज्ञान की प्रगति के साथ धर्म की प्रगति न हुई तो संसार अपनी इस भूल के भयंकर दुष्परिणाम आप ही भुगतेगा।"
चौबीस घंटे शोर के कारण वहाँ ७० प्रतिशत लोगों के मस्तिष्क खराब हैं। आत्म-हत्यायें और हत्यायें सबसे अधिक अमेरिका में होती हैं, ६० प्रतिशत अमेरिकन नींद की गोलियाँ लेकर सोते हैं, अन्यथा उनके मस्तिष्क इतने अशांत होते हैं कि उन्हें स्वाभाविक नींद लेना भी कठिन हो जाता है। दांपत्य जीवन जितना अमेरिका और इंग्लैंड में क्लेशपूर्ण है, उतना संसार के किसी भाग में नहीं। अमेरिका में एक कहावत प्रचलित है—रात को विवाह प्रातः संबंध-विच्छेद' (नाइट मैरिजेज मार्निंग डाइवर्स)। यह घटनायें बताती हैं कि भौतिक प्रगति और यांत्रिक सभ्यता मनुष्य जीवन का इष्ट और लक्ष्य नहीं। उससे वास्तविक सुख-शांति की कल्पना करना निरर्थक है। हमें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा और आध्यात्मिकता के प्रकाश को फिर से प्राप्त करना होगा।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न