आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
वासनापूर्ण निकृष्ट जीवन त्यागकर शद्ध सात्त्विक जीवनयापन करने की प्रेरणा देने वाला अध्यात्मवाद ही है। वह मनुष्य को तम से ज्योति और मृत्यु से अमृत की ओर ले जाने वाला है। बाह्य वस्तुओं के सुख की भाँति अध्यात्मवाद का आंतरिक सुख अस्थिर नहीं होता। वह चिरंतन, स्थिर, एकरस होता है। संसार की अशुद्धताएँ, इंद्रिय भोग की लिप्सा और वस्तुवाद की निस्सारता अध्यात्मवादी को प्रभावित नहीं कर पातीं। वह अंदर-बाहर एक जैसा तृप्त, संतुष्ट तथा महान् रहा करता है।
आत्मा में अखंड विश्वास रखकर जीवनयापन करने वाला आध्यात्मिक ही कहा जायेगा। आत्मा है यह मान लेना ही आत्मा में विश्वास करना नहीं है। आत्मा में विश्वास करने का आशय हैइस अनुभूति से प्रतिक्षण ओत-प्रोत रहनी कि "संसार में व्याप्त परमात्मा के अंश आत्मा के द्वारा हमारा निर्माण किया गया है। हम यह पंचभौतिक शरीर ही नहीं हैं, बल्कि आत्मरूप में वही कुछ हैं, जो परमात्मा है।" ऐसी अनुभूति होने से ही हम अपने को ठीक से पहचान सकेंगे और सत्य, प्रेम, सहानुभूति, दया, क्षमा आदि ईश्वरीय गुणों का आदर कर सकेंगे। जिस समय हममें इन गुणों के ठीक-ठीक मूल्यांकन तथा इनको अपने अंदर विकसित करने की चाह जाग उठेगी, हम अध्यात्म पथ पर अग्रसर हो चलेंगे।
अध्यात्म सदाचरण और सदाचरण अध्यात्म के प्रेरक मित्र हैं। सदाचरण अध्यात्मवाद का सक्रिय रूप है और अध्यात्मवाद सदाचरण की घोषणा है। सदाचारी आध्यात्मिक तथा आध्यात्मिक व्यक्ति का सदाचारी होना अवश्यंभावी है।
भौतिक लोभ-लिप्सा को त्यागकर निर्विकार अध्यात्म पथ का अवलंबन करने से मनुष्य स्वभावतः आंतरिक संतोष, प्रेम, आनंद एवं आत्मीयता की दैवी संपदायें प्राप्त कर लिया करता है। अक्षय दैवी संपदा पा जाने पर मनुष्य पूर्णकाम हो जाता है और तब फिर उसे और कुछ चाहने की अभिलाषा नहीं रह जाती। अध्यात्मजन्य दैवी संपदाओं में संसार के सारे भौतिक तथा अभौतिक सुख निहित हैं।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न