आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
अपने अतीत को भूलिए नहीं
भारतीय धर्म, संस्कृति और सभ्यता का जिन्होंने अध्ययन, अनुभव एवं अवगाहन किया है, उसके मूल तक पहुँचे हैं, उन्होंने इसकी सार्वभौमिकता, विशालता तथा पवित्रता से इनकार नहीं किया। हमारा दर्शन संपूर्ण विश्व के लिए प्रकाश है। उस प्रकाश का लाभ सभी जातियों ने पाया है। अपने ज्ञान, अपनी साधना और अपनी तपश्चर्या के लाभ हमने सारे संसार को बाँट दिये हैं। उस अनुदान का लाभ सारा विश्व उठा रहा है, किंतु हमने तो अपने प्राचीन गौरव को ही भुला दिया। अपने आदर्शों से च्युत होकर अपनी सारी भौतिक विभूतियाँ एवं आध्यात्मिक संपदायें खोकर रख दी। समय उन्हें फिर से जाग्रत् करने का संदेश दे रहा है। वह युग आ गया जब इस आवाहन को अनसुना कर टाल नहीं सकते।
हीरे की परख जौहरी को होती है। हम जिस अतीत को आज भूलकर बैठे हैं, उसके महत्त्व को पाश्चात्य मनीषियों ने, कला-पारखियों ने समझा और उसकी प्रशंसा की है। इतिहास में अनेकों वर्णन, विश्लेषण एवं विज्ञप्तियाँ भरी पड़ी हैं। उनका अध्ययन करने से आँखें खुल जाती हैं और अपने सही रूप का पता चल जाता है। प्रख्यात जर्मन-दार्शनिक मैक्समूलर ने लिखा है-
"यदि कोई मुझसे पूछे कि वह कौन-सा देश है, जिसे प्रकति ने सर्वसंपन्न, शक्तिशाली एवं सुंदर बनाया है तो मेरा संकेत भारतवर्ष की ओर होगा। जिन्होंने प्लेटो और कांट के दर्शन का अध्ययन किया है, उन्हें भी अपने मुख्यतम गुणों का विकास करने वाली, जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण समस्याओं पर गहराई से सोच-विचार करने वाली भारतीय-संस्कृति के अध्ययन की जरूरत है। अपने जीवन को अधिक पूर्ण, अधिक विस्तृत और अधिक व्यापक बनाने के लिए भारतीय विचार पर्याप्त हैं, न केवल इस जीवन के वरन् मनुष्य के अनंत जीवन के पूर्ण वैज्ञानिक विश्लेषण की क्षमता केवल भारतवर्ष में है।"
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न