आचार्य श्रीराम शर्मा >> सफलता के सात सूत्र साधन सफलता के सात सूत्र साधनश्रीराम शर्मा आचार्य
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विद्वानों ने इन सात साधनों को प्रमुख स्थान दिया है, वे हैं- परिश्रम एवं पुरुषार्थ ...
दो विद्यार्थी परीक्षा देते हैं। उनमें से एक पास हो जाता है और दूसरा फेल।
फेल होने वाला विद्यार्थी साल भर पढ़ता रहा यथासाध्य अध्ययन में कमी नहीं की,
किंतु किन्हीं विशेष कारणों अथवा संयोगवश फेल हो जाता है। दूसरा पास होने
वाला विद्यार्थी साल भर खेलता-कूदता और मटरगस्ती करता रहा। किताब को हाथ नहीं
लगाता किंतु परीक्षा में नकल द्वारा अथवा अन्य अनुचित उपायों से पास हो जाता
है। तो क्या यह सफल और वह असफल माना जाएगा ? नहीं ! ऐसा माना जाना गलत होगा।
नकल द्वारा अथवा अनुचित उपायों के आधार पर पास हो जाने पर वह असफल ही माना
जाएगा और पढ़ने तथा परिश्रम करने के बाद भी संयोगवश फेल हो जाने वाला उसकी
तुलना में सफल ही माना जाएगा।
सफलता की कसौटी परिणाम नहीं बल्कि वह मार्ग, वह उपाय, वह साधन और वह आधार है
उन्नति एवं विकास के लिए जिन्हें अपनाया और काम में लाया गया है। इस विवेचना
के प्रकाश में, सफलता के आकांक्षी की अपनी समझ है, कि वह सरल एवं क्षिगति की
स्वीकृति देता है अथवा पुरुषार्थ पूर्ण धीरे-धीरे आने वाली सफलता को।
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- सफलता के लिए क्या करें? क्या न करें?
- सफलता की सही कसौटी
- असफलता से निराश न हों
- प्रयत्न और परिस्थितियाँ
- अहंकार और असावधानी पर नियंत्रण रहे
- सफलता के लिए आवश्यक सात साधन
- सात साधन
- सतत कर्मशील रहें
- आध्यात्मिक और अनवरत श्रम जरूरी
- पुरुषार्थी बनें और विजयश्री प्राप्त करें
- छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें
- सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है
- अपने जन्मसिद्ध अधिकार सफलता का वरण कीजिए