आचार्य श्रीराम शर्मा >> सफलता के सात सूत्र साधन सफलता के सात सूत्र साधनश्रीराम शर्मा आचार्य
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विद्वानों ने इन सात साधनों को प्रमुख स्थान दिया है, वे हैं- परिश्रम एवं पुरुषार्थ ...
सामाजिक सहयोग, लोगों की सहायता तथा अपने क्षेत्र में सफलता से वंचित होने का
एक बड़ा कारण है, प्रत्येक बात में दूसरों की आलोचना करना। दरअसल कई लोगों को
ऐसी प्रवृत्ति ही होती है, जिसमें चाहे कैसा भी वातावरण हो आलोचना किए बिना
उन्हें तृप्ति ही नहीं मिलेगी। हर समय, हर बात को आलोचना की कसौटी पर कसना
अच्छी बात नहीं, इससे लोग दूर हटने की कोशिश करते हैं और मनुष्य दूसरों के कई
अनुभव, महत्त्वपूर्ण जानकारी, विचार, ज्ञान से वंचित रहता है।
ये छोटी-छोटी बातें मनुष्य की उन्नति में बहुत बड़ी बाधक बन जाती हैं। इनके
सुधार के लिए सदा ही प्रयत्न करते रहना चाहिए। कई बार असफलताओं का कारण इन
छोटी-छोटी बातों की उपेक्षा ही होती है। इस उपेक्षा के कारण काम की व्यवस्था
पर तथा कार्य से संबंधित अन्य व्यक्तियों पर जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है,
उसी के परिणामस्वरूप असफलता सामने आती है। यह तथ्य न समझने वाले लोग अपने
प्रयासों के बावजूद विफल रह जाने का कारण भाग्य, देवी-देवता आदि को या दूसरों
द्वारा उत्पन्न की गई ज्ञात-अज्ञात बाधाओं आदि को मान लेते हैं। उन्हें लगता
है कि सदा ऊँचे विचार और अच्छे इरादे रखने पर भी हमें सफलता नहीं मिली, तो
इसका कारण किसी रहस्यमय सत्ता का विधि-विधान है।
दूसरी ओर छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने वाले जागरूक, तत्पर एवं रचनात्मक
दृष्टिकोण वाले लोग असफलताओं के बीच भी सफलता के नए मार्ग ढूंढ निकलाते हैं
और उस हेतु व्यापक सहयोग-संबल प्राप्त कर लेते हैं।
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- सफलता के लिए क्या करें? क्या न करें?
- सफलता की सही कसौटी
- असफलता से निराश न हों
- प्रयत्न और परिस्थितियाँ
- अहंकार और असावधानी पर नियंत्रण रहे
- सफलता के लिए आवश्यक सात साधन
- सात साधन
- सतत कर्मशील रहें
- आध्यात्मिक और अनवरत श्रम जरूरी
- पुरुषार्थी बनें और विजयश्री प्राप्त करें
- छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें
- सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है
- अपने जन्मसिद्ध अधिकार सफलता का वरण कीजिए