आचार्य श्रीराम शर्मा >> आत्मिक प्रगति के लिए अवलम्बन की आवश्यकता आत्मिक प्रगति के लिए अवलम्बन की आवश्यकताश्रीराम शर्मा आचार्य
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आत्मिक प्रगति के लिए अवलम्बन की आवश्यकता
समर्थ बनना हो, तो समर्थों का आश्रय लें
युग निर्माण योजना मथुरा एवं प्रज्ञा अभियान शान्तिकुञ्ज हरिद्वार के
संस्थापक-संचालक लाखों प्रज्ञा परिजनों के गुरु पूज्य पं० श्रीराम शर्मा
आचार्य जी कहते रहे हैं कि यदि उन्हें किसी महान मार्गदर्शक का अनुग्रह न
मिला होता, तो वे उस स्थिति में न पहुँच सके होते, जिसमें कि पहुँच सकने
में वे समर्थ हुए। उन्होंने अपने मार्गदर्शक पर समग्र श्रद्धा एकत्रित
करके समर्पित की है। फलतः उदार अनुदानों की अमृत वर्षा होने लगी और उसका
लाभ आरंभ से लेकर आज तक अनवरत एवं अविच्छिन्न क्रम से मिलता रहा। यदि इस
स्तर पर शिष्य का श्रद्धा समर्पण न रहा होता, तो संभवतः अन्य अनेक चित्र
पूजकों की तरह उनके पल्ले भी कुछ न पड़ा होता।
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- आत्मिक प्रगति के लिए अवलम्बन की आवश्यकता
- श्रद्धा का आरोपण - गुरू तत्त्व का वरण
- समर्थ बनना हो, तो समर्थों का आश्रय लें
- इष्टदेव का निर्धारण
- दीक्षा की प्रक्रिया और व्यवस्था
- देने की क्षमता और लेने की पात्रता
- तथ्य समझने के उपरान्त ही गुरुदीक्षा की बात सोचें
- गायत्री उपासना का संक्षिप्त विधान