नाटक-एकाँकी >> लहरों के राजहंस (सजिल्द) लहरों के राजहंस (सजिल्द)मोहन राकेश
|
1 पाठकों को प्रिय 96 पाठक हैं |
सांसारिक सुखों और आध्यात्मिक शांति के पारस्परिक विरोध...
लहरों के राजहंस
सोऽनिश्चयान्नापि ययो न तस्थौ सतस्तरंगेष्विव राजहंसः ।
-
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book