भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
पूरब मङ्गलकारी, अगिन कोन शुभ भारी।
दखिनै छींक निडर हो जारी, वायु कोन विरधै कै हारी।।
पश्चिम छींक भोजन मिले, नैरित छींक विवादे करे।
उत्तर खुबै झगड़ा होय, ईशान धन की प्रापति होय।।
छींक की पहिचान यह है कि पूरब अग्निकोण और दक्षिण दिशा में होने वाली छींक
शुभ है। बायव्य कोण, नैऋत्य और उत्तर दिशा में होने वाली छींक अशुभ है तथा
कलह कराने वाली है। पश्चिम दिशा की छींक से स्वादिष्ट भोजन प्राप्त होता
है। ईशान दिशा की छींक से धन प्राप्त होता है।
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