कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ रोमांचक विज्ञान कथाएँजयंत विष्णु नारलीकर
|
14 पाठकों को प्रिय 48 पाठक हैं |
सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...
7
गणेशजी की दुर्लभ प्रतिमा
ओवल के बाहर जैसे ही मैं बस से उतरा, मुझे पूर्वाभास हुआ कि मैं कुछ अनोखा
देखने जा रहा हूँ। बीती घटनाओं के मद्देनजर आज मुझे ऐसे पूर्वाभास का कोई
कारण नजर नहीं आता। लेकिन फिर परिभाषा के आधार पर क्या पूर्वाभास बिना किसी
कारण के नहीं होते हैं ? अभी तक मुझे जो अनोखी चीज दिखाई दे रही है वह यह है
कि मुझे स्टेडियम में जाकर टेस्ट मैच देखने की फुरसत मिल गई और इसका कारण
बताया जा सकता था। गेट पर कंप्लीमेंटरी पास दिखाते वक्त अनायास ही मेरी
उँगलियाँ उसके साथ लगी चिट से खेलने लगीं-
14 अगस्त, 2005
प्रिय जॉन,
मेरी तुमसे हाथ जोड़कर विनती है कि इस टेस्ट में मेरा खेल देखने के लिए जरूर
पधारो, जो कि मेरा अंतिम मैच होने जा रहा है। आशा है, तुम जरूर आओगे!
अभिवादन,
तुम्हारा विश्वासपात्र
प्रमोद रंगनेकर
प्रमोद और मैं कैंब्रिज की क्रिकेट टीम की जान हुआ करते थे, जिसने सन् 1989
में विश्वविद्यालय मैच जीता था। बाद में प्रमोद पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी बन
गया और वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया एवं एम.सी.सी. के खिलाफ उसने अपने बेहतरीन
खेल के झंडे गाड़ दिए। वहीं मैं एक इंडोलॉजिस्ट (भारतविद्) बन गया। मेरा
कार्य कुछ ऐसा था कि क्रिकेट से मेरा नाता ही टूट गया।
और अब संग्रहालय के क्यूरेटर के रूप में तो मुझे दम भरने की फुरसत भी नहीं
मिलती। सचमुच 15 साल के लंबे अंतराल के बाद क्रिकेट मैदान पर जाना मेरे लिए
किसी सदमे से कम नहीं था।
आज खेल का दूसरा दिन था और मैंने यही दिन चुना था, क्योंकि आज भारत को
फील्डिंग करनी थी और मैं प्रमोद को खेलते देख सकूँगा। कल, पहले दिन के खेल
में चमकदार धूप में खेलते वक्त भारत से विशाल स्कोर की उम्मीद थी। लेकिन
भारतीय बल्लेबाज उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और कुल 308 रन बनाकर सारी टीम आउट
हो गई, जो इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के लिए मामूली चुनौती थी।
दूसरे दिन का खेल बड़ी शांति से शुरू हुआ। कोई संकेत नहीं थे कि क्या होगा।
पहले एक घंटे में इंग्लैंड के ओपनर बल्लेबाजों विलिस और जॉन्स ने बिना आउट
हुए 40 रन बना लिये। ड्रिंक्स के बाद भारतीय कप्तान भंडारी ने रंगनेकर को
गेंद फेंकने के लिए बुलाया और तभी से अनोखी घटनाओं का सिलसिला चालू हो गया।
तालियों की गड़गड़ाहट के साथ प्रमोद का स्वागत किया गया; पर उस गड़गड़ाहट में
भी सहानुभूति के भाव छुपे थे। उसके तमाम प्रशंसक जानते थे कि वह अपना आखिरी
टेस्ट मैच खेल रहा था। सचमुच इस पूरी श्रृंखला के दौरान उसके खेल में वह बात
नहीं रह गई थी। उसकी गेंदबाजी की धार और जादू गायब हो चुके थे, जिसका अंग्रेज
बल्लेबाजों को भी अहसास था। जनता में और मीडिया में माँग उठ रही थी कि प्रमोद
को टीम से बाहर कर दिया जाए। लेकिन फिर भी चयनकर्ताओं ने अनुभव के तौर पर उसे
एक आखिरी मौका और दिया। अब सवाल था कि क्या प्रमोद उनकी उम्मीदों पर खरा
उतरेगा?
अनोखी चीज का पहला संकेत मिला, जब प्रमोद गेंद फेंकने की तैयारी कर रहा था।
"राइट आर्म, ओवर द विकेट?" अंपायर कोट्स ने पूछा, जो प्रमोद की गेंदबाजी करने
के ढंग से परिचित था।
"नहीं।" प्रमोद के जवाब ने अंपायर को हैरानी में डाल दिया।
"लेफ्ट आर्म ओवर द विकेट।"
प्रमोद ने कभी भी बाएँ हाथ से गेंदबाजी नहीं की थी। कप्तान भंडारी भी हैरान
था और प्रमोद को समझाने की कोशिश करता रहा, लेकिन प्रमोद अपनी जिद पर अड़ा
रहा।
"ठीक है, मैं इस बुढ़ऊ को केवल एक ओवर तक यह बेवकूफी करने दूंगा।" भंडारी
बड़बड़ाया।
अब तक रेडियो और टी.वी. पर कमेंटेटर भी प्रमोद का इरादा जान चुके थे और उस पर
टीका-टिप्पणी करने लगे थे। एक दाएँ हाथ का गेंदबाज अचानक ही बाएँ हाथ से
गेंदबाजी कैसे कर सकता है और वह भी ऐसे टेस्ट मैच में, जिसमें उसकी टीम को एक
विकेट की सख्त जरूरत है ? यह तो एकदम बेमिसाल है। मगर उसके बाद जो कुछ हुआ,
वह भी एकदम बेमिसाल था।
अपनी पहली ही सटीक गेंद पर प्रमोद ने ओपनर विलिस की लैग स्टंप उड़ा दी। विलिस
की समझ में कुछ नहीं आया। पैवेलियन वापस जाते हुए उसने नए बल्लेबाज को
चेताया, "सावधान रहो, इस जोकर ने मुझे मजाक-मजाक में उड़ा दिया।"
लेकिन इस चेतावनी का कुछ फायदा नहीं हुआ। बाएँ हाथ से प्रमोद की गेंदबाजी कहर
बरपा रही थी। तीन नंबर का बल्लेबाज और उसके बाद आनेवाले तमाम बल्लेबाज प्रमोद
की गेंदबाजी के आगे टिक नहीं सके। जहाँ 40 रन पर एक विकेट भी नहीं गिरा था
वहीं केवल 78 रन पर इंग्लैंड की पूरी टीम का बोरिया- बिस्तर बँध गया।
भोजन अवकाश में सैंडविच चबाते हुए मैं इस असाधारण बदलाव के बारे में सोच रहा
था, जो खेल में इतने थोड़े से समय में ही आ गया। यह ऐसा बदलाव है जो क्रिकेट
को अन्य खेलों से अलग करता है। 203 रन से पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को फॉलोऑन
खेलना पड़ा। क्या इंग्लैंड अपनी दूसरी इनिंग में इस झटके से उबर पाएगा? मेरी
बगल में बैठे बुजुर्ग सज्जन भी कयास लगा रहे थे कि क्या रंगनेकर जिमलेकर के
एक ही टेस्ट मैच में 19 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़ सकेगा? उसके बाद उन्होंने
उस मैच की एक-एक घटना विस्तार से बताई, जिसे उन्होंने पचास साल पहले अपनी
जवानी के दिनों में देखा था।
और सचमुच अगली इनिंग में ऐसा ही हुआ। इंग्लैंड की पूरी टीम केवल 45 रनों पर
ढह गई।
भारत के खिलाफ यह उनका सबसे कम स्कोर था और प्रमोद के खाते में पूरे 20 विकेट
आ गए।
|