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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :81-7055-777-1

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


रत्ना पानी लाने के लिए उठती है। उसकी साड़ी का आँचल सुरंजन के बायें हाथ से छूते हुए चला गया। उसकी बाँह में वह स्पर्श लगा रहा। अच्छा, रत्ना अगर चाहे तो उसकी पत्नी बन ही सकती है। अपने आवारा जीवन को एक परिवार में बाँधना चाहिए सिर्फ इसीलिए वह शादी करना नहीं चाहता। सारा दिन लेटे-लेटे वह रत्ना की उँगलियों से खेल पायेगा, खेलते-खेलते बचपन की बातें करेगा फिर ऐसा होगा कि दोनों के बीच अनजानी कोई बात नहीं रहेगी, कोई दीवार नहीं। असल में वह उसकी पत्नी नहीं, दोस्त बनेगी।

रत्ना की गहरी दो आँखें क्या चाहती हैं? सुरंजन हड़बड़ा जाता है। कह बैठता है, 'देखने आया था कि अक्षत हैं या नहीं?'

'अक्षत? 'अक्षत' के दो अर्थ होते हैं, नारी के लिए एक और पुरुष के लिए दूसरा। क्या देखने आये थे?'

'दोनों ही!'

रत्ना हँसकर सिर झुका लेती है। उसके हँसने पर शायद मोती नहीं बिखरते, लेकिन अच्छी लगती है। सुरंजन उसके चेहरे से नजर नहीं हटाना चाहता। क्या उसकी उम्र ज्यादा हो गयी है? इस उम्र के लड़के बहुत बूढ़े-बूढ़े शादी के लिए बिल्कुल बेजोड़ लगते हैं क्या? सोचते हुए सुरंजन ने ध्यान दिया कि रत्ना उसे देख रही है। उसकी दृष्टि में मोह का नशा है।

'आपका वह शादी न करने का फैसला अब तक कायम है?' रत्ना हँस कर पूछती है।

कुछ समय लेने के बाद सुरंजन कहता है, 'जीवन नदी की तरह है, जानती हैं न? नदी नहीं रुक सकती है? फैसला भी उसी तरह हमेशा अटल नहीं होता। बदलता रहता है।'

‘सुनते हैं, बाहर हिन्दुओं पर साम्प्रदायिक आक्रमण हो रहा है और इस चरम परिस्थिति में।' रत्ना हँसते-हँसते बोली, 'बच गये!'

सुरंजन ने नहीं पूछा कि 'बच गये' का अर्थ क्या है। वह समझ गया। रत्ना उससे एक स्वच्छ आनंद दे रही है। उसका मन हुआ कि वह रत्ना की पतली-पतली उँगलियाँ छूकर कहे, चलिए, आज साल-वन में घूमने चलें। हरी घास पर सारी रात लेटे रहें। चाँद हमें पहरा देगा। चाँद से हम उसकी चाँदनी छिपाने के लिए नहीं कहेंगे। सुरंजन सीढ़ी के पास जाकर सोचता है कि दरवाजा पकड़कर खड़ी रत्ना से वह कहेगा, 'अपने अटल फैसले को बदलकर, चलिए दोनों मिलकर कुछ करते हैं।'

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