नई पुस्तकें >> काव्यांजलि उपन्यास काव्यांजलि उपन्यासडॉ. राजीव श्रीवास्तव
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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति
कमला देवी का सत्संग व पूजा पूर्ववत् चलती रही। प्रत्येक नवरात्रि में माँ की स्थापना भजन कीर्तन होता रहा। काव्या व दीपा काजन्मदिन पूर्ववत धूम-धाम से मनाया जाता रहा। काव्या व दीपा की पढ़ाई चलती रही। और प्रत्येक वर्ष दीपा व काव्या को कोई न कोई पुरस्कार मिलता रहा।
1973 में काव्या ने CBSE BOARD में अच्छे अंक प्राप्त किये। 11 में काव्या ने अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, गणित, हिन्दी एवं एकाउण्टस विषय लिये। 1974 में दीपा ने CBSE BOARD की 10वीं में अच्छे अंक प्राप्त किये।
माधुरी, "दीपा तुम्हारे नम्बर काव्या से काफी कम हैं जबकि हम लोग तुमको भी वही सुविधायें देते हैंजो कि काव्या को।"
दीपा, "मम्मी, मैं इस बार काफी मेहनत करूँगी।"
काव्या, "मैं दीपा की हेल्प कर दूँगी।"
दीपा, "मैं दीदी के ही सब्जेक्ट्स लूँगी।"
माधुरी, "यह सब्जेक्ट्स तुम चला लोगी?"
दीपा, "यस मम्मी।"
माधुरी, "गुड।"
दीपा उपरोक्त सब्जेक्ट्स लेकर पढ़ाई में जुट गयी। दीपा ने एक कोचिंग भी ज्वाइन कर ली। दीपा और काव्या हर ओर से बेसुध हो पढ़ाई करतीरही। 1975 में काव्या को CBSE BOARD की 12वीं में काफी अच्छे अंक मिले। प्रत्येक विषय में A या A1ग्रेड मिला।
जून 1975 के प्रथम रविवार को सब चाय पी रहे हैं।
दीपा, "पापा, इस बार पढ़ते-पढ़ते थक गए हैं। एक सप्ताह का प्रोग्राम किसी हिल स्टेशन का बनाइये।"
काव्या, "हाँ पापा, दीपा बिल्कुल ठीक कह रही है।"
कमला देवी, "बेटा हरिद्वार जाने का मेरा भी मन है।"
माधुरी, "आप अपनी सुविधानुसार मसूरी का प्रोग्राम बना लीजिए।"
विनोद, "ओ०के०, अगले शनिवार को हम लोग सिक्स सीटर कार से निकलेंगे। मैं सब व्यवस्था करता हूँ।"
विनोद ने हरिद्वार व देहरादून में अच्छे होटल में दो-दो कमरे बुक करवा लिये।
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