लोगों की राय

नई पुस्तकें >> भावनाओं का सागर

भावनाओं का सागर

प्रविता पाठक

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16998
आईएसबीएन :9781613017869

Like this Hindi book 0

प्विता जी की हृदयस्पर्शी कवितायें

सबके राम, सब में राम


जब था धरती पर युग त्रेता
वन-वन भटके थे राम
कहने को तो अब है कलयुग
पर सबके अपने-अपने राम

धर्म की विजय पताका फहरा
अयोध्या लौटे थे रघुराई
दीपों का उत्सव तब आया
जन-जन ने दीपावली मनायी

शिव कहें मैं राम आराधक
राम कहें मैं शिव भक्त
प्राण हरें शंकर शम्भू
पार उतारें राम प्रभु

रोली चन्दन में जल मिलता
माथे तिलक है तब सजता
शक्ति, त्याग, मर्यादा का संगम
पावन नाम राम बनता ।


...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book