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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> NLP कल्पतरु

NLP कल्पतरु

डॉ. पवन शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16915
आईएसबीएन :9781613017760

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व्यावहारिक मार्गदर्शिका

NLP  परिचय

 

यदि आप किसी क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं, तो इसके लिए एक अनिवार्य पहला कदम है, आपको एक शाश्वत कार्यकारी आधार का पता लगाना होगा। आपके मस्तिष्क की कार्यविधि को निपुण बनाने के लिए आपको इसके सिद्धान्त को समझना होगा। यदि आप ये जानते हैं कि कोई चीज़ कैसे काम करती है तो उसके साथ काम करना आसान हो जाता है, वर्ना ये हमारे लिए क्रोध, चिन्ता, डर, अवसाद और कुंठा का कारण बन जाती है और हमारे आत्मविश्वास के ह्रास का कारण भी बनती है। यदि आप अपने मस्तिष्क के साथ काम करना चाहते हैं, या उसकी शक्तियों का प्रयोग करना चाहते हैं, तो आपको इसके सिद्धान्तों को समझना और सीखना होगा।

आप और हम ये जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर मशीन है। सामान्यत: हम छोटी बड़ी, आसान पेचीदा, किसी भी तरह की मशीन का उपयोग करते हैं, तो हमें उसके साथ एक 'उपभोक्ता दिग्दर्शिका' (user manual) मिलती है, जिससे हम उस मशीन के सुचारु और सरल प्रयोग के लिए मदद ले सकते हैं, मगर हमारे मस्तिष्क को नियंत्रित करने वाला यूजर मैनुअल कहाँ है? जवाब है - NLP!

NLP यानि NEURO LINGUISTIC PROGRAMMING (न्यूरो लिंगुइस्टिक प्रोग्रामिंग)। यह एक ऐसी तकनीक है जिसे हमारे मस्तिष्क का यूजर मैनुअल कह सकते हैं। जिसके प्रयोग से हम अपने मस्तिष्क की असीमित शक्तियों को अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रयोग करके जीवन के हर क्षेत्र में उन्नत व बेहतरीन परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

NLP, सम्प्रेषण (communication), व्यक्ति विकास, तथा मनोचिकित्सा तक पहुँचने का साधन है। इसके नाम में प्रयुक्त 'न्यूरो' हमारे मस्तिष्क की विचार प्रणाली को दर्शाता है, 'लिंगुइस्टिक' भाषा को बताता है, और 'प्रोग्रामिंग' इस बात को दर्शाता है कि किस तरह हम अपने विचारों की भाषा को प्रोग्राम करें और अपने मनचाहे परिणाम हासिल करें।

NLP सन 1970 से आज तक शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, ट्रेनिंग आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका में शामिल है।

NLP सिर्फ यह दावा करती है कि "अगर कोई चीज़ काम करती है तो उसे ज्यादा करो, और यदि कुछ काम नहीं करता है तो कुछ और करो।" साथ ही यह कि "यदि एक इंसान कुछ कर सकता है तो आप भी वो कर सकते हैं।"

हमारा मस्तिष्क पाँच इन्द्रियों से सूचनाएँ ग्रहण करता है- देखकर (visual), सुनकर (audio), छूकर (touch), सूंघकर (olfactory), और चख कर (gustatory)। इसमें से छूना, सूंघना, और चखना हमारे अंतर्अनुभव हैं। इनका अनुभव हमें अपने अन्दर होता है, इसे बाहर प्रकट नहीं कर सकते। ये हमारे एहसास हैं। इन तीनों इंद्रियों को हम एक ही वर्ग में रख सकते हैं, क्योंकि हमें कुछ ग्रहण करने में सबसे अधिक अनुभव छू कर ही मिलते हैं। इस वर्ग को NLP में kinesthetic (काइनेसथेटिक) कहते हैं, जो कि जन्तु विज्ञान (biology) की Kinesthesia शब्द से लिया गया है। यानि जो अनुभव हमें हमारी मांसपेशियों द्वारा मिलता है।

अब हमारे पास तीन तरीके हैं, जिनसे हमारा मस्तिष्क सूचनाएँ ग्रहण करता है : देखकर (visual), सुनकर (audio), और एहसास कर (kinesthetic), अर्थात "VAK"। जिस तरह से हम एक दूसरे से बात करने या सम्प्रेषण करने के लिए भाषा का प्रयोग करते हैं, उसी तरह से मस्तिष्क की भाषा 'VAK' है। यदि इस भाषा से परे हम कुछ भी निर्देश या सूचना मस्तिष्क को भेजेंगे तो यह उसे अस्वीकार कर देगा। ठीक उसी तरह जैसे हमसे कोई रूसी, जर्मन, जापानी या अन्य किसी ऐसी भाषा में बात करेगा जिसका हमें ज्ञान न हो तो हम उस पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं, और सम्प्रेषण अधूरा रह जाएगा।

NLP बताती है कि हमारा मस्तिष्क सच्चाई और कल्पना, दोनो पर एक ही तरह से प्रतिक्रिया देता है। उदाहरण के लिए यदि मैं आपसे कहूँ कि मान लें इस समय आपके हाथ में एक कच्चा, खट्टा, हरे रंग का चमकता हुआ आँवला है और आप उसे अपने दाँतों के बीच रखकर काट रहे हैं, और आँवले का खट्टा रस आपके मुँह में फैलता जा रहा है... कहिये कैसा अनुभव हो रहा है? यकीनन, आपके मुँह में खट्टे आँवले का स्वाद भी आ गया होगा, मुँह में पानी भी आ गया होगा और दाँतों में खट्टापन का एहसास भी हो गया होगा। ये सब अनुभव आपके साथ हकीकत में घटित हो रहे हैं, जबकि मैंने तो आपको एक काल्पनिक आँवला भेंट किया था।

यदि हमारे वास्तविक जीवन में हमारे पास वो परिस्थितियाँ उपलब्ध न हों जो हमारे अनुकूल हों, तो हम अपनी कल्पना शक्ति के माध्यम से हमारे ऊपर पड़ने वाले प्रभाव को अनुकूल बना सकते हैं और जिस तरह की हमारी मनोदशा होगी, वो हमारे शारीरिक हाव-भाव व भाषा से व्यक्त होगी। जैसे विचार हमारे मस्तिष्क में चल रहे होंगे, उनकी छवि हमारे शब्दों और शारीरिक भाषा द्वारा जाहिर हो जाएगी।

हम जीवन में प्रत्येक क्षण सम्प्रेषण करते रहते हैं। सम्प्रेषण दूसरों से और स्वयं से। दूसरों से किया गया सम्प्रेषण हमारे शब्दों, और हमारी शारीरिक भाषा द्वारा व्यक्त होता है : जिसका 55 प्रतिशत भाग हमारी शारीरिक भाषा, 38 प्रतिशत भाग हमारे स्वर व लय तथा मात्र 7 प्रतिशत भाग हमारे शब्दों द्वारा व्यक्त होता है। हमारे सम्प्रेषण का 93 प्रतिशत हिस्सा अशाब्दिक है, जो कि हमारे अवचेतन मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होता है और केवल 7 प्रतिशत भाग हमारे चेतन मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होता है। इसलिए, अवचेतन भाग पर ध्यान केन्द्रित कर के हम अपने सम्प्रेषण को और अधिक फलदायक और प्रभावी बना सकते हैं। NLP एक अध्ययन है कि किस तरह हमारी भाषा, चाहे वो शाब्दिक हो या अशाब्दिक, हमारे तंत्रिका तंत्र (nervous system) को प्रभावित करती है। जीवन में कुछ भी करने की योग्यता हमारे स्वयं के तंत्रिका तंत्र को निर्देशित करने की योग्यता पर आधारित है।

NLP इस बात का अध्ययन करती है कि किस तरह से लोग स्वयं से सम्प्रेषण करते हैं, जिसके द्वारा वो अधिक संपन्न मनोदशा (resourceful state) बना पाते हैं और जिसके द्वारा एक बड़ी संख्या में व्यवहार का चुनाव कर पाते हैं। भूतकाल में, NLP केवल चिकित्सकों (therapists) और कुछ गिने चुने बिजनेस एक्सिक्यूटिव को ही सिखाया जाता था। आज तो यह हर क्षेत्र की जरूरत बन गया है। NLP हमे स्वयं के मस्तिष्क को निर्देश देने के लिए सकारात्मक रूपरेखा (positive framework) उपलब्ध कराती है। ये हमें न केवल खुद के व्यवहार और मनोदशा को निर्देशित करना सिखाती है, बल्कि दूसरों के व्यवहार और मनोदशा को भी निर्देशित करना सिखाती है। संक्षिप्त में, यह एक विजय, एक उपकरण है जो बताता है कि मस्तिष्क को कैसे चलाया जाये, जिससे वो हमें मनचाहा परिणाम दे। NLP एक बहुत शक्तिशाली उपकरण है, एक ऐसा उपकरण जिसका इस्तेमाल आप अपने विकास, दृष्टिकोणों, स्ट्रैटिजी और अंदरूनी विकास के लिए कर सकते हैं।

NLP मस्तिष्क के भौतिक विज्ञान (nuclear physics) की भांति है, भौतिक विज्ञान सभ्यता के ढांचे, संसार की प्रकृति का वर्णन करती है। NLP आपके मस्तिष्क के बारे में बिल्कुल ऐसा ही करती है। NLP आपको चीजों को आंशिक तौर पर तोड़ने की अनुमति देती है जो उन्हें काम करने देती है। लोग पूर्ण रूप से प्रेम भरा महसूस करने की कोशिश में पूरा जीवन काल बिता देते हैं। वे अपनी एक बड़ी सम्पत्ति खुद को जानने, मनोविश्लेषण करने और सफल कैसे हों, इस पर कई दर्जनों किताबों को पढ़ने में खर्च कर देते हैं। हमें NLP कई दूसरे लक्ष्यों को सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रभावी तरीके से निपुणता से संपन्न करने की तकनीक देती है।  

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