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			 नई पुस्तकें >> जो विरोधी थे उन दिनों जो विरोधी थे उन दिनोंराजकुमार कुम्भज
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राजकुमार कुम्भज की कविताएँ
बन्द है घड़ी
बन्द है घड़ी, सुनिश्चित है समय
बन्द है क़लम, सुनिश्चित है स्याही
बन्द है जीवन, सुनिश्चित है मृत्यु
और तभी, कहीं, किसी रोज़, किसी चौराहे पर
मिलता है कोई एक यह कहते हुए
कि अच्छा चलता हूँ अभी समय नहीं है
समय मिला तो मिलूँगा।
			
						
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