नई पुस्तकें >> मनुहारों के शिखर मनुहारों के शिखरलोकेश शुक्ल
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लोकेश जी के गीतों का संग्रह
गीत
राम गीत / 39
सुधियों के झुरमुट ना होते 41
सुरभि बिखेरी जब से तुमने / 42
मैंने वे दिन भी देखे हैं / 44
तुम नज़दीक नहीं हो फिर भी / 46
चंदन वन से लहर उठी है / 47
तुम अचानक आ गये मधुमास में / 49
कभी धूप में कभी छाँव में मन के ठौर / 50
खो गई जाने कहाँ / 51
चित्र उभर आया है कोई / 52
कभी-कभी स्वर्णिम यादों से / 54
दीपित पल-छिन तैर रहे हैं / 55
आओ मिलकर हम तुम जोड़ें / 56
ये कैसा दे दिया है दरपन / 58
हम वहीं से फिर तुम्हें आवाज देंगे / 60
तुम कभी उस द्वार पर जाकर तो देखो / 62
बाँध तो बाँधे बहुत मैंने हृदय पर / 64
प्रीत के उठते हुये स्वर / 66
मैंने वो सपने देखे / 68
और तुम तारों सा दमके / 70
कस्तूरी की बात करो न / 71
कोई ऐसा गीत रचो मन / 73
रिश्तों का उपवन महकेगा / 75
प्रीत की चाह में / 76
कभी धूप / 77
मन को ज़रा बदल कर देखो / 79
कोमल सपनों की सौगातें / 81
बाहर नहीं तलाशो कुछ भी / 83
धीरज न खोना / 85
कोशिश के शिखर / 86
सूख गए आँखों में आँसू / 87
अपनी-अपनी पीड़ायें हैं / 88
बरखा ने डैने फैलाये / 90
उलझन में भी सुलझी राहें / 92
चेहरे पर चेहरों की पर्तें / 93
सूखे पेड़ ने पूछा / 94
नयी सोच के उड़े विहग / 96
ये कैसा उजाला है / 98
आशा के दीप / 100
संकट से हताश मत हो तुम / 102
पैसों की पकड़ा-पकड़ी में / 103
धूप के तेवर बड़े संगीन से हैं / 104
हमारा भारत देश महान / 105
दोहे
पावस / 109
गर्मी / 110
होली / 111
माँ / 112
दर्शन / 113
विसंगति / 114
राजनीति / 115
धर्म / 117
देश / 118
कोरोना / 119
मुक्तक / 121
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