नई पुस्तकें >> इन्द्रधनुष इन्द्रधनुषअजय प्रकाश
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कविता एवं ग़ज़ल
जय भोलेनाथ !
भोलेऽऽऽ. सुन ले मेरी पुकार।
पगला मन काहे घबराए,
कोई नहीं यदि साथ,
तेरे कोई नहीं यदि साथ।
जिसका कोई नहीं
शिवशंकर थामें उसका हाथ।
भोले ! हे दीनों के नाथ।।
तू ही कर्ता, तू ही भर्ता
तू ही पालनहार,
भोले ! तू ही पालनहार।
डोल रही है जीवन-नैया,
भोले ! आओ बन पतवार।
यह दुनिया माया की नगरी,
सिर लादे चाहत की गठरी।
सबसे लागे नीकी काया,
भोले ! दूर करो माया।
हे शिव। शरण तुम्हारे आया।
भोले ! सुन ले मेरी पुकार।
सुनले मेरी पुकार।।
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