नई पुस्तकें >> आँख का पानी आँख का पानीदीपाञ्जलि दुबे दीप
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दीप की ग़ज़लें
2. रफ़्ता रफ़्ता दिल पर मेरे एक असर हो जाएगा
रफ़्ता रफ़्ता दिल पर मेरे एक असर हो जाएगा
कब सोचा था उसका घर ही मेरा घर हो जाएगा
वक्त बड़ा बलवान हुआ है राजा रंक भी हो जाता
नौकर भी मालिक बनता है मेहनत कश गर हो जाएगा
बचपन से यौवन आएगा और बुढ़ापा आना भी तय
मिट्टी का घर है ये तो इक दिन जर्जर हो जाएगा
जंगल काट रहे जो अपने घर आफिस बनवाने क़ो
कौन सोचता आज परिंदा के बेघर हो जाएगा
चोंट लगे जब मन पर कोई आँसू में बह जाने दो
दर्द बसाओगे गर दिल में दिल पत्थर हो जाएगा
काल चक्र चलता ही रहता दिन के बाद सवेरा हो
बढ़ते जाना हर मौसम में ताकत वर हो जाएगा
आँधी से घबरा कर तू गर लौ को कंपित कर देगा
'दीप' समझ ले बस तेरा जलना जलना दूभर हो जाएगा
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