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आँख का पानी

दीपाञ्जलि दुबे दीप

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16640
आईएसबीएन :978-1-61301-744-9

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दीप की ग़ज़लें

9. मौला तू मुझे राह दिखाने के लिए आ


मौला तू मुझे राह दिखाने के लिए आ
गर हो सके तो जीस्त बचाने के लिए आ

ग़म रोज मिले इतने के टूटा हूँ बिखर कर
रब तू ही मुझे आज उठाने के लिए आ

जो जख़्म लगे दिल को उन्हें किसको दिखाएं
मरहम मेरे जख्मों पे लगाने के लिए आ

जिंदा हूँ मगर कोई भी ख़्वाहिश है न मक़सद
कुछ ख़्वाब मेरे दिल में सजाने के लिए आ

मुझको तो तेरे इश्क़ ने बर्बाद किया है
आबाद मुझे फिर से कराने के लिए आ

मर मर के यूँ ताउम्र जिये जा रही हूँ मैं
इक दिन तू मेरे ग़म को भुलाने के लिए आ

ख़्वाहिश है मेरी आख़िरी दीदार तेरा हो
उल्फ़त का 'दीप' अब तो जलाने के लिए आ


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