कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत वाह रे पवनपूतअसविन्द द्विवेदी
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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य
महावीर विनवउं हनुमाना
भूतभावन भगवान भोलेनाथ के अंशवतार रोम-रोम मा राम का रमावै वाले बलधारी, भवभयहारी, अजर, अमर, पवन-पूत, अंजनानन्दन, केशरी कुमार. महावीर हनुमान जी महाराज के चरन मा कोटि-कोटि प्रनाम।
अखिल ब्रह्माण्ड नायक सबसुखदायक घट-घट वासी अविनाशी करुनानिधान भगवान राम की नरलीला मा अहम भूमिका वाले बजरंग बली की वीरता कै वर्णन यद्यपि वानी से कदापि सम्भव नहीं न, तथापि प्रेरना अवरु कृपा से टूटी-फूटी वानी मा यहर-वहर जोरि गांठि के आपन साध पुरी के र यहमा जौ कुछ नीक लागै तौ वह के श्रेय श्री हनुमान जी महाराज का अहै औरि यदि उल जल जनाय परै तौ हमार न समझी समझि के सुधी पाठक जन क्षमा करिहैं, ई हाथ जोरिके विही अहै। अपने लगभग दुइ दशक के साहित्यक जीवन मा अनेकानेक उच्च कोटि के साहिता साधकन गुरूवन मित्रन कै जौन आशीष प्यार दुलार हमै प्राप्त भा ओका हम कबउ विसरि नहीं सकित। इ हमरै लिये गर्व कै बात आय, कि तमाम श्रेष्ठ सरस्वती पूतन कै स्नेहाशीष हमें सहजै मिलति बाय। हम श्री मत् परमहंस आश्रम के प्रसिद्ध सिद्ध संत तपोधन पूज्य पाद श्री हरि चेतन्य ब्रम्हचारी जी महाराज एवं बाबा पशुपति दास जी महाराज के भारी आभारी अही, जैहकै आशीष हमैं आगे बढ़ेकै शक्ति दिया थै। अमेठी के कन-कन मा रचा बसा चिर स्मरणीय साहित्यानुरागी स्वर्गीय राजर्षि रणंजय सिंह (दन साहब) का हमार हार्दिक श्रद्धांजलि एवं उनके उत्तराधिकारी महिमा मंडित स्वा नाम धन्य डॉ० संजय सिंह का मन से नमन जेहकै स्नेह महराजै की तरह सुलभ अहै।
रणवीर रणंजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य वर्तमान सचिव परम श्रद्धेय श्री सोमेश्वर सिंह जी नीति निपुण विवेकी कर्मठ प्रनम्य प्राचार्य डॉ० मथुरा सिंह जी सहित सबन विद्वान मनीषी गुरुवन एवं सम्मान्य कर्मचारी बंधुवन का हमार बार-बार हृदय से बंदन जिहिके बीच रहिके सदा सुख कै अनुभव करि थे। अपने परम शुभ चिन्तक अप्रतिम विद्वान दयालु चित्त डॉ० माधव प्रसाद पाण्डेय जी विभागाध्यक्ष हिन्दी के साथ अमेठी क्षेत्र में जगह-जगह साहित्यिक यज्ञ रचावै वाले परम उत्साही विद्वान कविता प्रेमी अपने विशेष सहयोगी डॉ० राधेश्याम जी तिवारी के सहित भोजपुरी भाषा भास्कर महाकवि पंडित चन्द्रशेखर मिश्र अवधी अधिराज आदरणीय आद्या प्रसाद मिश्र उन्मत्त जी, अनुपम आशु कवि प्रो० अनजान जी, आधुनिक रसखान श्री जुमई खाँ आदि के प्रति हम कृतज्ञता ज्ञापित करत अही, जेहकै के प्रेरणादायक मंगलकामना हमरे बरे संजीवनी बूटी के काम कराथै। साहित्य जगत मा जाना माना जाय वाले देश प्रदेशमा जेहके कीर्ति फैनी अहे ऐसे महान कविणात माहॉe for 'शेम', डॉ० शिव बहादुर सिंह भदौरिया, आदरणीय श्री कैलाश गौतम जी, मामा जी, विकल साकेली जी, श्रीश जी, हरिभक्त सिंह जी पंवार, लवशासित जी, कीक मालती, काका बैशवारी जी, सनकी जी, डॉ० दिनेश सिंह जी, श्री जगदीश वीमहीनीयाका शुक्ल हेमजी, जाहिल मुल्तानपुरी, गाफिल मुल्तानपुरी, प्रदीप जी, मनोजजी आदि के प्रति हम बहुत आदर व्यक्त करत अही, तथा श्री चन्द्रश पागल जी, निशा तापमही जीड
आर.पी. सिंह जी, प्रसून जी, मृदुल जी, श्याम जी, अनीश देहाती जी, अक्सर ही नाही, सौरभ, प्रहरी, तनहा के सहित भाई पवन मुल्तानपुरी, राजेन्द्र शुक्ल अमरेश, पवित्र, मल, स्व0 ब्रह्मव्रत जी, अमर जी, मनोज शुक्ल, फौजी दीवाना आदि के प्रति हम विशेष मन्त्र करत अही जेहकै प्यार बराबर पावा करी थे।
अन्त मा अपने तमाम साहित्य प्रेमिन के साथ पंडित जगदम्बा प्रसाद त्रिपाठी मनीपी की, श्री वासुदेव ओझा जी, डॉ० राजेन्द्र मिश्र प्राचार्य, डॉ० स्वामी शरण जी प्राचार्य श्री रमाशंकर मिश्र जी 'प्राचार्य', श्री केशव सिंह जी 'एडवोकेट, श्री रामधार दिवटी 'रामायणी', बाबा जानकी दास जी के सहित अपने बड़े भाई श्री जगत्राय द्विवदी, श्रीश कुमार द्विवेदी, श्री भरत कुमार द्विवेदी, श्री मुनि कुमार द्विवेदी के चग्न मा आपन अदाका अर्पित कैके सदैव आशीष कै कामना करत अही। सहवासी श्री ब्यास मणि तिवारी - लटिया, दुर्गेश मिश्र के सहित सुषमा ऑफसेट प्रेस के श्री अजीत कुमार पाण्डेय जी का बहुत बहुत धन्यवाद जेहकै सहयोग हम भुलाय नहीं सकित।
ई पुस्तक आपके हाथे मा अहय यहका बाचा आपन सुझाव जरूर पटया, हम राह देखब। साथे मा ई निवेदन विशेष रूप से अहय कि ऐसेन आशीर्वाद देहे रहया जीन किर आगे कुछ कविता के साथ मुलाकात हुवै। प्रकाशन की त्रुटि के बार-बार क्षमा चाही दे और ज्याद काव लिखी हनुमान जी तोहार हमार सबकै कल्यान करें, आप सबकै -
विजयदशमी
सम्बत् 2055 वि०
- असविन्द द्विवेदी
काली मंदिर, गौरीगंज रोड,
अमेठी, उ. प्र.
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