जीवनी/आत्मकथा >> बाल गंगाधर तिलक बाल गंगाधर तिलकएन जी जोग
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आधुनिक भारत के निर्माता
तिलक के इस निवेदन और स्वागत समिति के मंत्रिपद से त्यागपत्र देने का भी किसी दल पर प्रभाव न पड़ा। विवाद तीव्र और कटु होता गया। इसकी भी शंका होने लगी कि मारपीट और प्रदर्शन इस अधिवेशन का अन्त कर देंगे। पूना पहुंचने पर कांग्रेस के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने श्री रानडे से अनुरोध किया कि वह सामाजिक सम्मेलन किसी अन्य स्थान पर करें। सुधारकों का दल कांग्रेस के अध्यक्ष से यह पत्र पाकर बहुत क्षुब्ध हुआ, ''कांग्रेस की कार्रवाइयों में समाज-सुधार नहीं होने का मुख्य कारण यह है कि यदि हम ऐसे प्रश्नों को हाथ में लें तो गम्भीर मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं। और यह बहुत ही आवश्यक है कि हम कांग्रेस में भेद न होने दें।''
तिलक पर आरोप लगाया जाता है कि वह इस अवसर पर पूना के प्रतिक्रियावादी दल की बातों में आ गए। यह सच हो सकता है कि बिना तिलक के समर्थन के प्रतिक्रियावादियों को इतना साहस न होता कि वह सीमा का उल्लंघन करते। इस उद्धरित अपील से सिद्ध होता है कि उन्होंने जो नीति अपनाई, वह सामयिक आवश्कताओं के अनुसार नहीं बल्कि सिद्धान्तों पर, सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने की इच्छा पर नहीं बल्कि कांग्रेस के सिए जनसाधारण का समर्थन प्राप्त करने की आकांक्षा पर, आधारित थी। 'मराठा' के 10 नवम्बर के अंक में उन्होंने लिखा था : ''यदि जनता को हजारों की संख्या में अधिवेशन में सम्मिलित होने का और नेताओं का समर्थन करने का अवसर मिले तभी कांग्रेस जनता का संगठन बन सकती है।
जनसाधारण से सीधा सम्पर्क स्थापित करने की यही तीव्र आकांक्षा तिलक के सभी कार्यों की आधारशिला थी। 'गणपति' और 'शिवाजी पर्वों का उद्घाटन भी इसी दृष्टि से किया गया था कि वह जनता में जागृति ला सकें। अकाल और महामारी के दिनों में भी, जिनमें उन्हें घोर परिश्रम करना पड़ा था, उन्होंने इस लक्ष्य को सामने रखा।
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- अध्याय 1. आमुख
- अध्याय 2. प्रारम्भिक जीवन
- अध्याय 3. शिक्षा-शास्त्री
- अध्याय 4. सामाजिक बनाम राजनैतिक सुधार
- अध्याय 5 सात निर्णायक वर्ष
- अध्याय 6. राष्ट्रीय पर्व
- अध्याय 7. अकाल और प्लेग
- अध्याय ८. राजद्रोह के अपराधी
- अध्याय 9. ताई महाराज का मामला
- अध्याय 10. गतिशील नीति
- अध्याय 11. चार आधार स्तम्भ
- अध्याय 12. सूरत कांग्रेस में छूट
- अध्याय 13. काले पानी की सजा
- अध्याय 14. माण्डले में
- अध्याय 15. एकता की खोज
- अध्याय 16. स्वशासन (होम रूल) आन्दोलन
- अध्याय 17. ब्रिटेन यात्रा
- अध्याय 18. अन्तिम दिन
- अध्याय 19. व्यक्तित्व-दर्शन
- अध्याय 20 तिलक, गोखले और गांधी
- परिशिष्ट