खाना खजाना >> क्या खायें और क्यों खायें क्या खायें और क्यों खायेंडॉ. मधुर अग्रवाल
|
0 |
भोजन द्वारा चिकित्सा
यह पुस्तक : विद्वानों की राय में
“अधिकांश व्यक्ति यही समझते हैं कि- भोजन केवल पेट भरने के ही काम आता है लेकिन इस पुस्तक के माध्यम से आम जनता में व्याप्त उस भ्रम का वैज्ञानिक ढंग से निवारण किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में- मानव को सताने वाले सभी छोटे-बड़े रोगों का केवल भोज्य-पदार्थों से ही इलाज प्रस्तुत करके डॉ० मधुर अग्रवाल ने समाज की महान सेवा की है।"
- प्रेमनाथ चौहान (समाजसेवी), मुगलसराय
"डॉ० मधुर अग्रवाल द्वारा लिखित यह पुस्तक 'क्या खायें और क्यों खायें?' अपने ढंग की अनोखी पुस्तक है। यह आम जनता का खान-पान संबंधी मार्गदर्शन करेगी और आवश्यकता पड़ने पर रोगों के उपचार के उत्तम तरीके भी बतायेगी। मैं ऐसी श्रेष्ठ पुस्तक लिखने के लिये लेखक को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।"
- डॉ० गणेश खत्री, जयपुर
“यों तो प्रत्येक मनुष्य प्रतिदिन भोजन ग्रहण करता ही है लेकिन उस भोजन को ग्रहण करने की विधि प्रायः लोगों को मालूम ही नहीं होती है। प्रस्तुत पुस्तक में, हम अपने भोजन में- क्या खायें, क्यों खायें, कैसे खायें, कब खायें, कितना खायें- इत्यादि समस्त बातों की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। यह पुस्तक स्वयं में एक शोध-ग्रन्थ (थीसिस) जितनी महत्वपूर्ण और उपयोगी बन गई है।"
- डॉ० हरीश मनचन्दा, सहारनपुर
“जब समुद्र का मंथन किया जाता है तो अमृत मिलता है, उसी प्रकार से, विचारों को मथने से रत्न मिलते हैं। लेकिन उन रत्नों को बटोरकर रख लेना विद्वानों का कार्य नहीं है। महान तो वह है जो रत्नों की पिटारी खोलकर उन्हें बिखेरता जाये ताकि वह रत्न जिस किसी को भी मिलें- वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ व सुखी बन सके। यह पुस्तक रत्नों की खुली हुई पिटारी ही तो है, जो जौहरी और पारखी होंगे- वे अवश्य ही चुनेंगे।"
- डॉ० देव प्रियदर्शी, इलाहाबाद
|